जोधपुर, 28 फरवरी (हि.स.)। स्थाई लोक अदालत ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में प्रतिपादित किया है कि एक बार बीमा कंपनी जब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की बीमा राशि तय कर उसी अनुरूप प्रीमियम वसूल कर लेती है, तो नुकसान होने की दशा में बीमा कंपनी 45 फीसदी डेप्रिसिएशन के नाम पर दावा कटौती नहीं कर सकती है। उन्होंने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया कि प्रार्थी को दो माह में बकाया 21 लाख 32 हजार 155 रुपए और परिवाद व्यय पांच हजार रूपए अदा करें।
एएसजी हॉस्पिटल की निदेशक प्रियंका सिंघवी ने अधिवक्ता अनिल भंडारी के माध्यम से परिवाद दाखिल कर कहा कि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण की बीमा राशि 2 करोड़ 61 लाख 31 हजार 625 रुपए की बीमाराशि निर्धारित कर 1 लाख 83 हजार 313 रुपए प्रीमियम वसूल किया। 19 मई 2017 को लेसिक मशीन में नुकसान होने पर दावा पेश किए जाने पर बीमा कंपनी ने दावा राशि में 45 फीसदी डेप्रिसिएशन कटौती और 10 फीसदी सलवेज कटौती कर 21 लाख 32 हजार 157 रुपए का ही भुगतान किया।
अधिवक्ता भंडारी ने बहस करते हुए कहा कि बीमा कंपनी उत्पादकीय वर्ष के आधार पर अवमूल्य के नाम पर 45 फीसदी कटौती नहीं कर सकती है, बल्कि बीमा पॉलिसी की अवधि में होने वाले नुकसान पर 10 फीसदी ही डेप्रिसिएशन कटौती कर सकती है और निर्माता कंपनी ने नुकसानित उपकरण लेकर नया उपकरण उपलब्ध कराया है सो साल्वेज कटौती की 10 फीसदी राशि दावा राशि में से कम नहीं हो सकती है। प्रार्थी बकाया राशि 21 लाख 32 हजार 155 रुपए प्राप्त करने की अधिकारी है। बीमा कंपनी की ओर से कहा गया कि दावा आकलन सर्वेयर ने किया है,जिसे चुनौती नहीं दी जा सकती है।
स्थाई लोक अदालत ने परिवाद मंजूर करते हुए कहा कि सर्वेयर ने नुकसानित मशीन की लाइफ 10 वर्ष मानते हुए जो 45 फीसदी डेप्रिसिएशन कटौती की है,उसका कोई औचित्य नहीं है,जबकि बीमा कंपनी खरीद कीमत पर लगातार प्रीमियम वसूल कर रही है। उन्होंने साल्वेज के नाम पर दावा राशि में 10 फीसदी कटौती को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनी सिर्फ 10 फीसदी डेप्रिसिएशन कटौती ही कर सकती है। उन्होंने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया कि प्रार्थी को दो माह की अवधि में बकाया दावा राशि 21 लाख 32 हजार 155 रुपए तथा परिवाद व्यय पांच हजार रुपए अदा करें।