📍 फफूंद में विकास अब भी अधूरा
नए साल 2026 में अब कुछ ही दिन शेष हैं।
लेकिन फफूंद विकास को लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई।
कस्बा आज भी बुनियादी सुविधाओं से दूर नजर आता है।
👨🎓 बेरोजगारी बनी बड़ी चुनौती
पढ़े-लिखे युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं।
सुबह से शाम तक सड़कों पर संघर्ष साफ दिखाई देता है।
इसलिए युवाओं में निराशा लगातार बढ़ रही है।
🏗️ सीमित संसाधन, धीमा विकास
नगर पंचायत सीमित बजट में काम कर रही है।
सब्जी और गल्ला मंडी में जगह की भारी कमी है।
संकरी सड़कों के कारण व्यापार भी प्रभावित हो रहा है।
🏛️ इतिहास है, तरक्की नहीं
अंग्रेजों के समय का बना मेन गेट आज भी मौजूद है।
हालांकि इसके आसपास विकास की तस्वीर कमजोर है।
कभी यहां तहसील और मुंसिफ कोर्ट हुआ करते थे।
🚧 गैस प्लांट के पास भी बदहाल हालात
गेल का पाता गैस प्लांट पास में संचालित है।
इसके बावजूद क्षेत्र को विकास का लाभ नहीं मिला।
पाता रेलवे स्टेशन के पास सड़कें गड्ढों से भरी हैं।
📢 समाजसेवियों की छह सूत्रीय मांग
समाजसेवियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।
इसमें सड़क, बस सेवा और पुल चालू करने की मांग है।
साथ ही फफूंद विकास के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं मांगी गईं।
🏥 स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
फफूंद में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं है।
महिला अस्पताल में डॉक्टर और उपकरणों की जरूरत है।
जच्चा-बच्चा वार्ड शुरू करने की भी मांग उठी है।
⚠️ नया साल, पुरानी समस्याएं
लोगों का कहना है कि मूलभूत सुविधाएं अब भी नहीं मिलीं।
यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठे, स्थिति और बिगड़ सकती है।
फफूंद विकास अब भी एक अधूरा सपना बना हुआ है।




