🕉️ Pitru Paksha 2025 कब है?
हिंदू धर्म में Pitru Paksha का विशेष महत्व है। वर्ष 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर (रविवार) से शुरू होकर 21 सितंबर (रविवार) तक रहेगा।
इन 16 दिनों को श्राद्ध पक्ष या महालय पक्ष भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में पितरों की आत्मा पृथ्वी लोक पर आती है और अपने वंशजों से तर्पण व भोजन की अपेक्षा करती है।
📖 पितृ पक्ष का महत्व
- धर्मशास्त्रों में कहा गया है – “यस्य पितृ प्रसन्नाः, तस्य देवाः प्रसन्नाः” यानी पितरों को प्रसन्न करने से देवता भी प्रसन्न होते हैं।
- पितृ पक्ष में पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- माना जाता है कि श्राद्ध कर्म करने वाले घरों में सुख-समृद्धि और संतति वृद्धि होती है।
- जो लोग पितरों की उपेक्षा करते हैं, उनके जीवन में बाधाएँ और पितृ दोष उत्पन्न हो सकते हैं।
🍲 सात्विक भोजन क्यों ज़रूरी है?
श्राद्ध कर्म करते समय भोजन सात्विक और शुद्ध होना चाहिए।
- सात्विक भोजन से मन शांत और विचार पवित्र होते हैं।
- तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांसाहार) पितरों को अप्रसन्न कर सकता है।
- सात्विक भोजन में खिचड़ी, दूध, दही, फल, शहद और मौसमी सब्जियां शामिल की जा सकती हैं।
🚫 पितृ पक्ष में क्या न खाएं?
अनाज और दालें
- सफेद चना
- काला चना
- मसूर दाल
- उड़द दाल
- राई (काली सरसों)
- काला नमक
- चावल, गेहूं और चने का सत्तू
सब्जियां और कंद-मूल
- बैंगन
- करेला
- खीरा
- लहसुन और प्याज
- अरबी
- मूली
- आलू
अन्य चीजें
- पान
- बासी भोजन
- मांसाहार और मदिरा
⚠️ पितृ पक्ष में किन कामों की मनाही है?
- नए कपड़े खरीदना या पहनना
- नाखून और बाल काटना
- कोई भी शुभ कार्य (शादी, गृहप्रवेश, नया व्यवसाय) शुरू करना
- यात्रा पर जाने से पहले तर्पण किए बिना घर से निकलना
- घर आए पशु, पक्षी या अतिथि को बिना भोजन कराए लौटाना
🌿 वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कई लोग पूछते हैं कि पितृ पक्ष में ये नियम क्यों बनाए गए? इसका वैज्ञानिक पक्ष भी है –
- बरसात के बाद मौसम बदलता है और इस दौरान कुछ सब्जियां जैसे बैंगन, करेला, मूली और खीरा शरीर में गैस और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा करती हैं।
- उड़द दाल और मसूर दाल पचने में भारी होती हैं, इसलिए इन्हें वर्जित किया गया।
- सात्विक आहार प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है और मौसमी बीमारियों से बचाव करता है।
📅 पितृ पक्ष 2025 कैलेंडर
- 7 सितंबर (रविवार): पितृ पक्ष प्रारंभ, पूर्णिमा श्राद्ध
- 8 सितंबर (सोमवार): प्रतिपदा श्राद्ध
- 9 सितंबर (मंगलवार): द्वितीया श्राद्ध
- 10 सितंबर (बुधवार): तृतीया श्राद्ध
- 11 सितंबर (गुरुवार): चतुर्थी श्राद्ध
- 12 सितंबर (शुक्रवार): पंचमी श्राद्ध
- 13 सितंबर (शनिवार): षष्ठी श्राद्ध
- 14 सितंबर (रविवार): सप्तमी श्राद्ध
- 15 सितंबर (सोमवार): अष्टमी श्राद्ध
- 16 सितंबर (मंगलवार): नवमी श्राद्ध
- 17 सितंबर (बुधवार): दशमी श्राद्ध
- 18 सितंबर (गुरुवार): एकादशी श्राद्ध
- 19 सितंबर (शुक्रवार): द्वादशी श्राद्ध
- 20 सितंबर (शनिवार): त्रयोदशी श्राद्ध
- 21 सितंबर (रविवार): सर्वपितृ अमावस्या (पितृ पक्ष का समापन)