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सौ दिवसीय अभियान ने टीबी मुक्त भारत के लिए तैयार किया एक मजबूत आधार : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा का एक लेख साझा करते हुए कहा कि हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय सघन टीबी मुक्त भारत अभियान ने टीबी मुक्त भारत के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक्स पोस्ट में कहा, “टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय सघन टीबी मुक्त भारत अभियान पर महत्वपूर्ण जानकारी दी है, जिसने टीबी मुक्त भारत के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है, इसे अवश्य पढ़ें।”

नड्डा ने एक्स पोस्ट में कहा कि इस विश्व क्षय रोग दिवस पर मैं इस बात पर बहुत गर्व के साथ विचार करता हूं कि भारत टीबी के खिलाफ़ लड़ाई में किस तरह से अपनी रणनीति को फिर से लिख रहा है। हाल ही में संपन्न 100-दिवसीय सघन टीबी मुक्त भारत अभियान ने न केवल नवाचार की शक्ति का प्रदर्शन किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि समुदायों को संगठित करना कार्यक्रम संबंधी दृष्टिकोण को बदलने जितना ही महत्वपूर्ण है। मामलों का पता लगाने में तेज़ी लाकर, मृत्यु दर को कम करके और नए संक्रमणों को रोककर, इस अभियान ने टीबी मुक्त भारत के लिए एक मज़बूत नींव रखी है। भारत सिर्फ़ टीबी से नहीं लड़ रहा है, हम इसे हरा रहे हैं।

नड्डा ने लेख में कहा कि यह अभियान 7 दिसंबर, 2024 को टीबी के मामलों का पता लगाने, मृत्यु दर को कम करने और नए मामलों को रोकने के उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था। 100-दिवसीय सघन टीबी मुक्त भारत अभियान ने टीबी का समय रहते पता लगाने के लिए अत्याधुनिक रणनीतियां शुरू कीं, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि बिना लक्षण वाले लोगों की भी पहचान की गई- जिनका अन्यथा निदान नहीं हो पाता और उनका इलाज किया गया। पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों को सीधे उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के पास ले जाया गया, जिनमें मधुमेह, धूम्रपान करने वाले, शराब पीने वाले, एचआईवी से पीड़ित, बुजुर्ग, कम बीएमआई वाले और टीबी रोगियों के घरेलू संपर्क शामिल थे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित एक्स-रे ने संदिग्ध टीबी मामलों को तुरंत चिह्नित किया और स्वर्ण-मानक न्यूक्लिक एसिड एम्पलीफिकेशन टेस्ट (एनएएटी) का उपयोग कर पुष्टि की गई। इन प्रयासों ने सुनिश्चित किया कि संक्रामक मामलों की पहचान की गई और उनका जल्दी से जल्दी इलाज किया गया, जिससे संक्रमण पर लगाम लगी और लोगों की जान बच गई। यह अभियान देश के कोने-कोने तक पहुंचा, जिसमें कमज़ोर आबादी वाले 12.97 करोड़ लोगों की जांच की गई। इस गहन प्रयास के कारण 7.19 लाख टीबी रोगियों की पहचान की गई, जिनमें से 2.85 लाख मामले बिना लक्षण वाले थे।

नड्डा ने अपने लेख के माध्यम से कहा है कि 100 दिवसीय अभियान अभी शुरुआत है। भारत इन प्रयासों को पूरे देश में बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर नागरिक चाहे वे कहीं भी रहते हों, को आधुनिक निदान, गुणवत्तापूर्ण उपचार और अटूट सामुदायिक समर्थन तक पहुंच प्राप्त हो। जिस तरह भारत ने कोविड-19 परीक्षण को तेज़ी से बढ़ाया, उसी तरह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अगली पीढ़ी के टीबी निदान में निवेश कर रहा है ताकि अंतिम मील तक तेज़ और अधिक सटीक परीक्षण लाया जा सके।

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