हाई कोर्ट ने जताई देरी पर चिंता
दिल्ली उच्च न्यायालय की डिवीजन बेंच ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री विवाद से जुड़े मामले में देर से दाखिल याचिकाओं पर चिंता जताई है।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने कहा कि अपीलें निर्धारित समय सीमा के बाद दायर की गई हैं। अदालत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) को निर्देश दिया कि वह देर से दाखिल याचिकाओं पर अपनी आपत्ति लिखित रूप में दाखिल करे।
अगली सुनवाई की तारीख 16 जनवरी 2026 तय की गई है।
किसने दायर की याचिका
याचिकाकर्ताओं में आम आदमी पार्टी (AAP) के सांसद संजय सिंह, आरटीआई कार्यकर्ता नीरज शर्मा, और वकील मोहम्मद इरशाद शामिल हैं। इन सभी ने दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के 25 सितंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी है।
सिंगल बेंच का आदेश क्या था
जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने 25 सितंबर को दिल्ली यूनिवर्सिटी की याचिका मंजूर करते हुए केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को निरस्त कर दिया था।
CIC ने यूनिवर्सिटी को प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री की जानकारी देने और संबंधित सूचना अधिकारी पर ₹25,000 का जुर्माना लगाने का आदेश दिया था।
दिल्ली यूनिवर्सिटी का पक्ष
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री मौजूद है, लेकिन इसे किसी “अजनबी” या “तीसरे पक्ष” को नहीं दिखाया जा सकता।
उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय हर साल के छात्रों का रजिस्टर मेंटेन करता है। हम कोर्ट को डिग्री दिखा सकते हैं, लेकिन किसी व्यक्ति को नहीं।”
याचिकाकर्ता का तर्क
वहीं, याचिकाकर्ता पक्ष के वकील शादान फरासत ने तर्क दिया कि डिग्री की जानकारी सार्वजनिक है, और सूचना का अधिकार (RTI) कानून के तहत किसी भी नागरिक को यह जानकारी पाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि “सूचना मांगने वाले की नीयत के आधार पर सूचना रोकी नहीं जा सकती।”




