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खूंटी : मंजरों से लद गयी हैं टहनियां, आम के बंपर उत्पादन की संभावना

खूंटी, 18 फरवरी (हि.स.)। आम उत्पादन में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले खूंटी जिले में इस बार आम्रपाली, मालदा, दशहरी के अलावा बीजू आम के बंपर उत्पादन की संभावना है। गांव के लोग कहते हैं कि यदि मौसम ने साथ दिया और समय से बारिश हो जाए, तो खूंटी जिले में बीजू आम का रिकॉर्ड उत्पादन हो सकता है। उनका कहना है कि यदि कुछ दिनों में बारिश नहीं होती है, तो आम के मंजर सूख सकते हैं। साथ ही मधुआ रोग का प्रकोप हो सकता है और इसका सीधा असर आम के उत्पादन पर पड़ेगा।

तोरपा प्रखंड के आम उत्पादक किसान और जिला परिषद के पूर्व सदस्य प्रेमजीत भेंगरा कहते हैं कि मार्च-अप्रैल में बारिश होने से आम का अच्छा उत्पादन हो सकता है। उन्होंने कहा कि आम के पेड़ों पर मंजर और टिकोरे लगने के दौरान ओलावृष्टि होने से भी आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि मौसम ने साथ दिया तो झारखंड के लोग आम के लिए नहीं तरसेंगे।

आम के अनुकुल है खूंटी की जलवायु

आम उत्पादन के क्षेत्र में खूंटी जिले ने अपनी अलग पहचान बनाई है। यहां बीजू आम का उत्पादन तो भारी मात्रा में होता ही है, दशहरी, आम्रपाली सहित अन्य वैरायटी के आम की भी अच्छी पैदावार होती है। खूंटी के आम का स्वाद न सिर्फ झारखंड बल्कि बंगाल, ओडिशा से लेकर नेपाल तक के लोग लेते हैं। कृषि वैज्ञानिक खूंटी की जलवायु और भौगोलिक स्थिति को आम की पैदावार के लिए काफी अनुकूल बताते हैं। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण फलों के राजा आम के उत्पादन की यहां काफी संभावनाएं हैं।

चार हजार किसान करते हैं आम की खेती

खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड को आम उत्पादन का हब कहा जाता है। बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत तोरपा प्रखंड के लगभग चार हजार किसान आम की खेती करते हैं। पूरे झारखंड में तोरपा ऐसा प्रखंड है, जहां सबसे अधिक आम की बागवानी होती है। जानकार बताते हैं कि पूरे तोरपा प्रखंड में सात से आठ सौ एकड़ में आम की खेती की गई है।

जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से सपंर्क करें किसान: डॉ दीपक राय

खूंटी में आम के उत्पादन की संभावना के संबंध में तोरपा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दीपक राय ने कहा कि वर्तमान में आम के पेड़ों परं मंजर बहुत अच्छा है। उन्होंने कहा कि अच्छी पैदावार के लिए किसान बागानों की देखरेख करते रहें। साथ ही भुनगा कीट की संभावना व्याप्त है। यह कीट रस चूसकर मंजर को समाप्त कर देता है। इसकी रोकथाम के लिए एमिडाक्लोप्रीड 17.8ःएस एल/0.3 मिली प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए किसान तोरपा प्रखंड के दियांकेल स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर सकते हैं।

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