हाईकोर्ट ने बढ़ते हादसों पर जताई चिंता
राजस्थान हाईकोर्ट सड़क हादसे को लेकर गंभीर हो गया है। कोर्ट ने कहा कि मृत्यु अवश्यंभावी है, लेकिन असमयिक मौतें समाज और राष्ट्र दोनों की शक्ति को कमजोर करती हैं।
स्वतः संज्ञान लेकर मांगा जवाब
न्यायमूर्ति डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी और न्यायमूर्ति अनुरूप सिंघी की खंडपीठ ने मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों का स्वतः संज्ञान लिया। कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं को लेकर जनहित याचिका दर्ज की है और केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
नियामक लापरवाही पर कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि लगातार सड़क हादसे जीवन के मौलिक अधिकार का हनन हैं। इसे केवल नियामक लापरवाही कहकर नहीं टाला जा सकता। कोर्ट ने बताया कि पिछले दो हफ्तों में करीब 100 लोगों की जान गई, जो बेहद चिंताजनक है।
किन विभागों को भेजा गया नोटिस
हाईकोर्ट ने परिवहन, गृह, चिकित्सा, लोक निर्माण, स्थानीय निकाय और राजमार्ग प्राधिकरण सहित कई विभागों को नोटिस जारी किए हैं। सभी को अगली सुनवाई तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
न्याय मित्रों से मांगे सुझाव
कोर्ट ने पांच अधिवक्ताओं — मानवेंद्र सिंह भाटी, शीतल कुंभट, अदिति मोद, हेली पाठक और तान्या मेहता — को न्याय मित्र नियुक्त किया है। उन्हें सड़क और जन सुरक्षा को मजबूत करने के सुझाव देने को कहा गया है।
13 नवंबर को अगली सुनवाई
खंडपीठ ने कहा कि राज्य को नागरिकों के जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) की रक्षा करनी होगी। अदालत ने मारे गए 100 से अधिक लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि यह केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि नैतिक संकट भी है।
मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।




