ग्यारह अधिनियमों से हटाए गए कारावास के प्रावधान, राजस्थान सरकार का बड़ा सुधार
जयपुर, 13 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान सरकार ने राजस्थान जन विश्वास (उपबंधों का संशोधन) अध्यादेश–2025 के संबंध में गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस अध्यादेश के माध्यम से राज्य के 11 विभिन्न अधिनियमों में मामूली उल्लंघन और तकनीकी त्रुटियों पर लागू कारावास जैसे आपराधिक दंड को समाप्त कर दिया गया है, और उनके स्थान पर आर्थिक दंड (जुर्माना) का प्रावधान किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इस अध्यादेश को 3 दिसंबर 2025 को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में मंजूरी दी गई थी। यह कदम केंद्र सरकार के जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम–2023 की तर्ज पर उठाया गया है।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मिलेगा बढ़ावा
सरकार का मानना है कि इस संशोधन से
- ईज ऑफ लिविंग
- ईज ऑफ डूइंग बिजनेस
- मुकदमेबाजी में कमी
जैसे सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे।
इन 11 अधिनियमों में हुआ संशोधन
संशोधित अधिनियमों में प्रमुख रूप से शामिल हैं—
- राजस्थान वन अधिनियम-1953
- राजस्थान अभिधृति अधिनियम-1955
- राजस्थान राज्य सहायता (उद्योग) अधिनियम-1961
- राजस्थान विद्युत (शुल्क) अधिनियम-1962
- राजस्थान साहूकार अधिनियम-1963
- राजस्थान गैर-सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम-1989
- राजस्थान स्टाम्प अधिनियम-1998
- राजस्थान नगरपालिका अधिनियम-2009
- राजस्थान जल प्रदाय एवं मलवहन बोर्ड अधिनियम-2018 सहित कुल 11 कानून
आदिवासियों और उद्योगों को राहत
उदाहरण के तौर पर राजस्थान वन अधिनियम-1953 में अब वन भूमि में मवेशी चराने पर पहले की तरह कारावास नहीं होगा, बल्कि केवल जुर्माना और क्षतिपूर्ति देनी होगी। इससे अनजाने में नियम उल्लंघन करने वाले आदिवासी और ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलेगी।
इसी तरह उद्योगों और जल आपूर्ति से जुड़े कानूनों में भी प्रक्रियात्मक त्रुटियों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है।
यह अध्यादेश राज्य में सरल प्रशासन और भरोसे की व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।




