नई दिल्ली, 3 अप्रैल (हि.स.)। राज्यसभा के स्थापना दिवस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सदन के सदस्यों को शुभकामनाएं दीं। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर उन्होंने अपने संबोधन में सदन के सदस्यों का अभिनंदन करते हुए कहा कि राज्यसभा हमारे संसदीय लोकतंत्र के प्रतिष्ठित उच्च सदन- ज्येष्ठों के सदन के रूप में प्रतिष्ठित है।
उन्होंने कहा कि भारत की संघीय संरचना की सर्वोत्कृष्ट इमारत के रूप में यह संस्था व्यापक प्रतिनिधित्व, शासन में संतुलन और चिंतनशील बुद्धिमत्ता का कामकाज सुनिश्चित करती है। यह एक प्रतिष्ठित मंच के रूप में बनी हुई है, जहां प्रांतीय दृष्टिकोण और विशिष्ट विशेषज्ञता हमारे राष्ट्रीय प्रक्षेपवक्र को समृद्ध करने के लिए एकत्रित होती है।
सभापति ने कहा कि संसद हमारा ध्रुवतारा है-हमारा अटल ध्रुव तारा- जो राष्ट्र की सबसे कठिन चुनौतियों के दौरान आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करता है तथा अशांत समय में मार्गदर्शन की किरण के रूप में कार्य करता है। यह स्मरणीय अवसर हमें इस शानदार संस्था की विशेषताओं को संरक्षित करने के लिए खुद को नए सिरे से समर्पित करने के लिए प्रेरित करता है, जो लोकसभा के विपरीत अपनी चिरस्थायी निरंतरता को बनाए रखती है।
उन्होंने कहा कि इस संस्था की गंभीरता तथा इसके प्रतिष्ठित सदस्यों की विद्वता सर्वोत्कृष्ट महत्व रखती है। मैं सदस्यों से आग्रह करता हूं कि वे उत्कृष्टता, अटूट निष्ठा, दृढ़ प्रतिबद्धता, गहन विद्वता तथा बौद्धिक चिंतन और ज्ञानोदय को प्रोत्साहित करने वाली बातचीत के माध्यम से उत्कृष्ट आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करें।