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रुपकोंवर की याद में पूरे राज्य में मनाया जा रहा शिल्पी दिवस, मुख्यमंत्री ने किया नमन

-ज्याेति प्रसाद अग्रवाल हर असमिया के दिलों में बसते हैं: डाॅ सरमा

गुवाहाटी, 17 जनवरी (हि.स.)। समाज में परिवर्तन की धुरी के रूप में पहचाने जाने वाले कलाकार रुपकोंवर ज्योति प्रसाद अग्रवाल की आज पुण्यतिथि है। पूरे राज्य में इस दिन काे शिल्पी दिवस के रूप में मनाया जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने इस कलाकार काे नमन किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने शुक्रशार काे सोशल मीडिया के जरिए एक संदेश पाेस्ट कर कहा है कि असमवासियों के आत्मीय कलाकार रूपकोंवर ज्योति प्रसाद अग्रवाल का योगदान पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता रहा है और पीढ़ियों तक चलता रहेगा। वह हर असमिया के दिलों में बसते हैं। पहले असमिया फिल्म के निर्माण के साथ, एक नए सांस्कृतिक युग की शुरुआत ने हमें समृद्ध किया है। जहां भी सुंदरता के पुजारी ने अपना हाथ रखा, वहां सुंदरता का एक फूल खिल गया। आज समाज परिवर्तन के कलाकार की पुण्यतिथि के अवसर पर मेरा हार्दिक नमन। डाॅ सरमा ने कहा है कि हमारी सरकार रूपकोंवर के आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करती रही है और भविष्य में भी अभिनव कदम उठाने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

वर्ष 1951 में आज ही के दिन इस नाश्वर संसार को छोड़ने वाले रुपकोंवर को आज स्मृति दिवस के अवसर पर उनकी जन्मस्थली शोणितपुर जिला मुख्यालय शहर तेजपुर में लोगों ने उनके रचित गीत गाकर याद किया। तेजपुर साहित्य सभा की पहल पर रूपकोंवर की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि देने के बाद, श्रीजानी डांस कॉलेज के छात्रों ने पूरे भक्तिभाव के साथ नृत्य के माध्यम से उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। राज्य के अन्य हिस्सों में भी आज शिल्पी दिवस पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किए जा रहे हैं।

सुंदरता के उपासक, क्रांतिकारी कलाकार ज्योतिप्रसाद अग्रवाला के कालजयी गीत आज राज्य के विभिन्न हिस्सों की जुबान बन गया है। बंगाईगांव जिले का जोगीघोपा भी इस से अछूता नहीं है। जोगीघोपा के कुमारकाटा में जीवन बर्मन ने एक गीत के साथ रुपकोंवर को याद किया।

उल्लेखनीय है कि ज्योति प्रसाद अग्रवाला स्वतंत्रता आंदोलन में जहां बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, वहीं दूसरी ओर गीत और नाटकों की रचना कर आंदोलनकारियों को जगाने का कार्य किया। साथ ही पहली असमिया फिल्म का निर्माण कर राज्य के सांस्कृतिक जगत को समृद्ध किया। उनके योगदान को याद करने के लिए आज के दिन को राज्य सरकार की पहल पर शिल्पी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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