Mon, Oct 6, 2025
25.8 C
Gurgaon

पटना साहित्यिक यौन उत्पीड़न कांड: चुप्पी नहीं, अब दहाड़ने का समय है

🧨 साहित्य में आदर्श और व्यवहार की दोहरी परत

पटना में हाल ही में हुए साहित्यिक राइटर्स रेज़िडेंसी कांड ने एक बार फिर यह उजागर कर दिया कि स्त्री कहीं भी सुरक्षित नहीं, चाहे वह गाँव की हो या महानगर की उच्च शिक्षित। जिस मंच से स्त्री-मुक्ति, नारी गरिमा और पितृसत्तात्मकता पर विमर्श होता है, वहीं एक वरिष्ठ कवि द्वारा एक युवा कवयित्री के साथ यौन दुर्व्यवहार की घटना चौंकाती नहीं, बल्कि साहित्यिक दुनिया की सामूहिक चुप्पी से डराती है।

🔍 ‘नई धारा’ संस्था और लीपापोती का बयान

जिस राइटर्स रेज़िडेंसी में घटना हुई, वह ‘नई धारा’ संस्था द्वारा संचालित थी। घटना के बाद संस्था द्वारा दिया गया बयान मामले को दबाने और “सम्मानपूर्वक विदाई” जैसी लीपापोती तक सीमित रह गया। ना FIR, ना कानूनी कार्रवाई।

👉 प्रश्न उठता है:

  • यौन उत्पीड़न जैसे अपराध में केवल निष्कासन पर्याप्त कैसे हो सकता है?
  • संस्था की जवाबदेही क्या है?

🔇 चुप्पी और समझौता: फेमिनिज़्म की सीमाएं?

कवयित्री की चुप्पी, और समर्थकों द्वारा “माफी ले लेने” या “स्थान छोड़ देने” को ही न्याय मान लेना, नारी सशक्तीकरण के दावों की पोल खोलता है। यदि वह शिक्षित, मुखर और आधुनिक महिला भी कानूनी रास्ता नहीं चुनती, तो गाँव-देहात की स्त्रियों से क्या उम्मीद की जाए?

👩‍⚖️ क्या होना चाहिए था?

  • कवयित्री को FIR दर्ज करानी चाहिए थी
  • आरोपी को कानूनी दायरे में लाना जरूरी है, केवल साहित्यिक बहिष्कार से कुछ नहीं होगा
  • संस्थाओं की जवाबदेही तय होनी चाहिए
  • यौन उत्पीड़न को ‘अंदर की बात’ नहीं, सार्वजनिक मुद्दा समझा जाए

🔥 साहित्यिक पाखंड का पर्दाफाश

हिन्दी साहित्यिक समाज में जातिवाद और रंगभेद को तो निंदनीय माना जाता है, लेकिन स्त्री-विद्वेष और यौन हिंसा को अक्सर ‘अंदर की बात’ कहकर राजनीतिक चुप्पी में लपेट दिया जाता है। ऐसे उत्पीड़कों को सम्मान, पुरस्कार और मंच देना भी सहानुभूति नहीं, सहभागिता है।

✊ अब चुप नहीं, आवाज़ उठाने का समय है

“हो गई पीर पर्वत-सी, अब पिघलनी चाहिए” – यह वक्त चुप्पी का नहीं है।

  • उत्पीड़न को सहना या चुप रहना संस्कृति को गंदी करने में भागीदारी है।
  • हमें एक सुरक्षित, जवाबदेह और न्यायसंगत साहित्यिक वातावरण बनाना होगा

✅ निष्कर्ष

पटना की घटना महज एक व्यक्तिगत दुर्घटना नहीं, यह हिन्दी साहित्य की संरचना की कमजोरी है। अब समय है जब चुप्पी, लीपापोती और भीतरघात को छोड़कर, न्याय, मुखरता और कानूनी दायरे में आकर इन मुद्दों को अंजाम तक पहुंचाया जाए। यह न सिर्फ पीड़िता का, बल्कि पूरे समाज का उत्तरदायित्व है।

Archita phukan का वायरल वीडियो लिंक, क्या है नजारा?

असम की सोशल मीडिया सनसनी Archita phukan, उर्फ बेबीडॉल आर्ची, ने ‘डेम अन ग्रर’ पर बोल्ड डांस वीडियो से इंटरनेट पर धूम मचा दी। लेकिन MMS लीक और पॉर्न इंडस्ट्री की अफवाहों ने विवाद खड़ा कर दिया। वीडियो में क्या है नजारा, और क्या है सच?

SGT University में नजीब जंग ने की डिस्टेंस और ऑनलाइन एजुकेशन सेंटर की घोषणा!

SGT यूनिवर्सिटी में नजीब जंग ने सिर्फ प्रेरणा नहीं दी, बल्कि एक नई शिक्षा क्रांति की नींव भी रखी। क्या है इसकी खासियत?

SGT विश्वविद्यालय में रक्तदान शिविर: चरक जयंती पर मानवता की अनमोल मिसाल

SGT विश्वविद्यालय में चरक जयंती पर लगे रक्तदान शिविर ने आयुर्वेद की मूल भावना – सेवा और करुणा – को जीवंत किया।

Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान, जानिए अब कौन करेगा Tito की देखभाल

 हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने...
spot_img

Related Articles

Popular Categories