नई दिल्ली, 04 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासिन मलिक को अपने खिलाफ जम्मू में चल रहे ट्रायल के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाहों से जिरह करने की अनुमति दे दी है। जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि यासिन मलिक को जम्मू-कश्मीर में ले जाकर सुनवाई नहीं की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार आईटी और जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को तिहाड़ जेल और जम्मू में उपलब्ध वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधाओं को लेकर सौंपी रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि वहां वर्चुअल सुनवाई की जा सकती है। सुनवाई के दौरान यासिन मलिक ने कहा कि वह गवाहों से जिरह के लिए वकील नहीं रखना चाहता है। उसके बाद कोर्ट ने यासिन मलिक को गवाहों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये जिरह करने की अनुमति दे दी।
यासिन मलिक जम्मू कश्मीर में इंडियन एयर फोर्स के चार जवानों की हत्या और रुबिया सईद के अपहरण के मामले में वहां की निचली अदालत में मुकदमे का सामना कर रहा है। जम्मू कश्मीर में टाडा कोर्ट ने मलिक को व्यक्तिगत पेशी के लिए समन जारी किया था। यासिन मलिक भी जम्मू-कश्मीर में निचली अदालत में पेश होकर अपनी पैरवी करना चाहता था।
सीबीआई ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है। सीबीआई का कहना है कि यासिन मलिक कोई आम आतंकवादी नहीं है। वो लगातार पाकिस्तान जाता रहा है। हाफिज सईद के साथ उसने मंच साझा किया है। उसके जम्मू-कश्मीर जाने से वहां का माहौल बिगड़ सकता है। गवाहों को सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है।