नई दिल्ली, 19 मार्च (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति में चीफ जस्टिस की भूमिका खत्म करने के केंद्र सरकार के कानून पर रोक की मांग को लेकर दायर याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
बुधवार को सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि ये मामला सुनवाई के लिए 38वें नंबर पर लिस्टेड है। ऐसे में इस मामले की सुनवाई आज असंभव लगती है। भूषण ने कहा कि इस मामले की सुनवाई काफी जरूरी है। तब कोर्ट ने कहा कि रोजाना कई जरूरी मामले लिस्ट होते हैं लेकिन हम इस मामले पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेंगे।
इस मामले में एडीआर के अलावा एक याचिका जया ठाकुर ने दायर की है। याचिका में चयन समिति में चीफ जस्टिस को भी रखने की मांग की गई है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले कुछ वकीलों ने भी याचिका दायर कर रखी है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कानून को चुनौती देते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों में देश के चीफ जस्टिस को भी पैनल में शामिल करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि चुनाव में पारदर्शिता लाने के मद्देनजर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करने वाले पैनल में चीफ जस्टिस को भी शामिल किया जाना जरूरी है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 02 मार्च 2023 के अपने एक फैसले में कहा था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति करने वाले पैनल में चीफ जस्टिस को भी शामिल किया जाएगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस फैसले पर एक नया कानून बनाकर नियुक्ति प्रक्रिया में चीफ जस्टिस की बजाय सरकार का एक कैबिनेट मंत्री शामिल कर दिया। 18 फरवरी को मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के रिटायर होने के बाद केंद्र सरकार ने ज्ञानेश को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया।