सेबाश्रय के पीछे का सिद्धांत – समय पर, मानवीय और सुलभ स्वास्थ्य सेवा: अभिषेक बनर्जी
कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने गुरुवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा कर सेबाश्रय योजना के मूल सिद्धांत और इसके प्रभाव पर विस्तार से प्रकाश डाला।
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि सेबाश्रय योजना का मूल दर्शन बिल्कुल स्पष्ट है—
“देखभाल समय पर होनी चाहिए, मानवीय होनी चाहिए और बिना किसी अपवाद के सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए।”
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा कोई विशेषाधिकार नहीं हो सकती, जिसे दूरी, देरी या परिस्थितियों के आधार पर तय किया जाए। बल्कि, यह सेवा लोगों तक ठीक उसी समय पहुंचनी चाहिए, जब उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता हो।
आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया का मॉडल
अभिषेक बनर्जी ने बताया कि सेबाश्रय (2) के 18वें दिन बजबज में जो स्थिति देखने को मिली, वह एक ऐसी प्रणाली का परिणाम है जिसे आपात स्थितियों को पहले पहचानने और बिना किसी हिचक के तुरंत कार्रवाई करने के लिए डिजाइन किया गया है।
उनके अनुसार, सेबाश्रय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी कमजोरी को संकट में बदलने से पहले हस्तक्षेप किया जाए, ताकि अनावश्यक पीड़ा से बचा जा सके।
पूर्वानुमानित और उत्तरदायी शासन की मिसाल
उन्होंने कहा कि सेबाश्रय यह सिद्ध कर रहा है कि शासन केवल प्रतिक्रियाशील नहीं होना चाहिए, बल्कि पूर्वानुमानित, उत्तरदायी और भरोसेमंद भी हो सकता है।
“इस योजना की ताकत किसी एक इलाज में नहीं, बल्कि उस निरंतरता में है, जिसके साथ यह सेवा विभिन्न समुदायों और परिस्थितियों में पहुंचाई जाती है।”
अधिकार के रूप में स्वास्थ्य सेवा
अभिषेक बनर्जी ने कहा कि जब लोगों को यह भरोसा होता है कि मदद दान के रूप में नहीं, बल्कि एक अधिकार के रूप में मिलेगी, तो इससे केवल स्वास्थ्य ही नहीं सुधरता, बल्कि सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास और सार्वजनिक सेवा की गरिमा भी बहाल होती है।
सेबाश्रय योजना
गौरतलब है कि सेबाश्रय पश्चिम बंगाल सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य सेवा पहल है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों को समय पर, गुणवत्तापूर्ण और सुलभ चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह योजना राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को मानवीय दृष्टिकोण के साथ लोगों के नजदीक लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।




