नई दिल्ली, 22 दिसंबर (हि.स.)।
कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मनरेगा की जगह वीबी-जी राम जी योजना लागू करना सिर्फ एक नीति परिवर्तन नहीं, बल्कि गरीब मजदूरों के संवैधानिक अधिकारों को समाप्त करने की साजिश है।
एक राष्ट्रीय अखबार में लिखे लेख में सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा को बिना संसद में चर्चा, राज्यों से परामर्श और संघीय ढांचे का सम्मान किए खत्म किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि इसके दूरगामी और विनाशकारी सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे।
सोनिया गांधी ने लिखा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम-2005 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संविधान के अनुच्छेद-41 से प्रेरणा लेकर लागू किया गया था। यह दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजना रही है, जिसने ग्रामीण गरीबों को कानूनी रूप से काम का अधिकार दिया।
उन्होंने आरोप लगाया कि नई व्यवस्था के तहत कानूनी रोजगार गारंटी, मांग-आधारित कार्य प्रणाली, सालभर रोजगार की अवधारणा और ग्राम सभा की केंद्रीय भूमिका को खत्म कर दिया गया है। नई योजना में रोजगार के दिनों को बजटीय सीमा से जोड़ दिया गया है, जिससे राज्यों की जरूरतों की बजाय केंद्र की प्राथमिकताएं हावी होंगी।
सोनिया गांधी ने इसे केंद्रीकरण की चरम सीमा बताते हुए कहा कि 73वें संविधान संशोधन के तहत ग्राम सभाओं को मिले अधिकार छीने जा रहे हैं और पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत ऊपर से योजनाएं थोपी जा रही हैं।
उन्होंने सरकार के 100 दिन से 125 दिन रोजगार बढ़ाने के दावे को भी भ्रामक बताया और कहा कि जमीनी हकीकत में रोजगार के अवसर कम होंगे। सोनिया गांधी ने याद दिलाया कि कोविड-19 महामारी के दौरान मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए जीवनरेखा साबित हुई थी।
उन्होंने चेतावनी दी कि मनरेगा को खत्म करना ग्रामीण भारत में गंभीर सामाजिक संकट को जन्म देगा और इसका सबसे ज्यादा असर गरीब मजदूरों पर पड़ेगा।




