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चिकित्सा सुविधा से ज्यादा चिकित्सकीय ज्ञान की जरूरत : सतीश राय

–आयुर्वेद है प्राकृतिक उपचार पद्धति, दादी मां के नुस्खे लोग भूले

प्रयागराज, 20 मार्च (हि.स)। आधुनिक दिनचर्या और भाग दौड़ भरी जिंदगी में शरीर को रोग मुक्त करना बड़ी चुनौती है। ऐसे में कमजोर इम्यूनिटी के लोगों को बीमारियों की समस्या अक्सर होती है। आरामदेह जीवन शैली, भोजन में मिलावट व हानिकारक खाद्य पदार्थ, तनाव भरी दिनचर्या के चलते और मौसम में बदलाव के कारण लोग समस्याओं से परेशान हो जाते हैं।

यह बातें गुरुवार को एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान मधुबन बिहार स्थित प्रयागराज रेकी सेंटर पर जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने कही‌। उन्होंने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बदलते मौसम में बीमारियों से मुकाबला करने के लिए शरीर की रोग अवरोधक क्षमता को बढ़ाना होगा और इसका सबसे अच्छा स्रोत देश की अति प्राचीन उपचार पद्धतियों जैसे सूर्य चिकित्सा, जल चिकित्सा अग्नि चिकित्सा, वायु चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा, स्पर्श चिकित्सा एवं आयुर्वेद में है।

–सुबह वात, दोपहर में पित्त और शाम को कफ दोष ज्यादा

सतीश राय ने कहा आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात- पित्त-कफ की स्थिति 24 घंटे में ऊपर नीचे (सम और असम) होती रहती है l शरीर में सुबह वात ज्यादा होता है दोपहर में पित्त ज्यादा होता है और शाम को कफ ज्यादा होता है। आयुर्वेद के अनुसार 90% बीमारियां पेट साफ न होने के कारण होती है। मुंह से बदबू आना, दांत खराब होना, सांसों में भयंकर बदबू आना, पेट साफ न होने के लक्षण हैं l

–वात पित्त कफ दोष में क्या न खाएं

सतीश राय ने कहा वात, वायु और आकाश तत्वों से मिलकर बना है। इसकी कमी से कमजोरी, हड्डियों में कमजोरी, कब्ज, ड्राइनेस, नींद में कमी होती है। वात दोष में साबूत अनाज बाजरा, जौ, मक्का, गोभी पत्ता गोभी, ब्रोकली, ठंडे पेय पदार्थ कोल्ड कॉफी, नाशपाती कच्चे केले खाने से बचना चाहिए।

पित्त दोष में सिर दर्द गर्दन से जुड़ी बीमारियां पीलिया, सफेद दाग, पेट दर्द, डायबिटीज, स्वप्न-दोष उल्टी से सम्बंधित बीमारियां होती हैं। इसमें मूली, कच्चे टमाटर, काली मिर्च, काजू, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट, काफी के सेवन से बचना चाहिए।

कफ दोष पृथ्वी और जल तत्व से मिलकर बना है। शरीर में कफ का अंग पेट और छाती है। सर्दी जुकाम, सुस्ती थकान, पाचन की समस्या, डिप्रेशन की समस्याएं होती हैं। इसमें मैदा से बनी वस्तुएं खीरा, टमाटर, केला, खजूर, अंजीर, आम, तरबूज इत्यादि खाने से बचें।

–दादी मां के नुस्खे की हो सबको जानकारी

सतीश राय ने कहा भारत में लोगों को चिकित्सा सुविधा से ज्यादा चिकित्सकीय ज्ञान की जरूरत है। अर्थात व्यक्ति स्वस्थ कैसे रहे इसका ज्ञान होना अधिक आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को दिनचर्या और ऋतुचर्या जरूर सीखनी चाहिए । आधुनिक चिकित्सा के चलते नानी और दादी मां के घरेलू नुस्खों को लोग भूल चुके हैं। जिसमें रोज़मर्रा से जुड़ी बीमारियों का देसी इलाज घर में मौजूद औषधियों से किया जाता था। यह ज्ञान अब बुजुर्ग नानी दादी के साथ ही धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। अब लोगों को पता ही नहीं है कि दिनचर्या कैसी होनी चाहिए और ऋतु अनुसार कैसा भोजन हो l

–दिनचर्या और ऋतुचर्या का हो प्रचार

सतीश राय ने कहा दिनचर्या और ऋतुचर्या से सम्बंधित जानकारी के प्रोग्राम टीवी चैनलों पर जरूर आना चाहिए। जिससे वह जान सके की क्या खाने से वह रोग मुक्त रह सकते हैं l डालडा, रिफाइन और तली सामग्रियों से जितना सम्भव हो परहेज करें।

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