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अम्बेडकर अस्पताल में सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ़ रेट्रोपेरिटोनियम का दुर्लभ और सफल ऑपरेशन

रायपुर, 17 जून (हि.स.)।
राजधानी रायपुर स्थित डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय के ऑन्कोसर्जरी विभाग ने चिकित्सा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यहां की टीम ने 50 वर्षीय मरीज की दुर्लभ और जटिल बीमारी सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ़ रेट्रोपेरिटोनियम की 5 घंटे लंबी सर्जरी कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है।


🔬 दुर्लभ ट्यूमर, जटिल सर्जरी

ऑपरेशन में तीन ट्यूमर निकाले गए, जिनमें सबसे बड़े का आकार 25×20 सेमी था। यह ट्यूमर शरीर की प्रमुख रक्त वाहिनियों (IVC और Aorta) से चिपका हुआ था, जिसे सावधानीपूर्वक अलग करते हुए सफल सर्जरी की गई।

ऑन्कोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि इस ट्यूमर की विशेषता यह है कि यह बेहद दुर्लभ और सौम्य (benign) होता है तथा लसीका तंत्र (lymphatic system) से उत्पन्न होता है। इसका दोबारा होने की संभावना और ऑपरेशन के बाद जटिलताएं आम तौर पर अधिक होती हैं।


🩺 राज्य के बाहर से आए मरीज को मिली नई उम्मीद

भिलाई निवासी मरीज ने बताया कि वह देश के कई बड़े अस्पतालों में गया, लेकिन सभी ने इस सर्जरी को अत्यधिक जटिल बता कर मना कर दिया। अंततः रायपुर के अम्बेडकर अस्पताल में उन्हें आशा की किरण मिली। ऑपरेशन के अगले ही दिन मरीज को सामान्य आहार शुरू करवा दिया गया और दो महीने के फॉलोअप में मरीज पूरी तरह स्वस्थ पाया गया।


🧑‍⚕️ मध्यभारत में पहला एम.सी.एच. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी कोर्स

पं. जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय के डीन डॉ. विवेक चौधरी ने बताया कि यह संस्थान मध्यभारत का पहला शासकीय मेडिकल कॉलेज है, जहां एम.सी.एच. सर्जिकल ऑन्कोलॉजी का कोर्स शुरू हुआ है। वर्तमान में तीन रेजिडेंट डॉक्टर इस कोर्स में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जिससे भविष्य में सुपर-स्पेशलिस्ट कैंसर सर्जन तैयार होंगे।


🗨️ स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में बड़ी उपलब्धि: चिकित्सा अधीक्षक

डॉ. संतोष सोनकर (चिकित्सा अधीक्षक, अम्बेडकर अस्पताल) ने कहा:

“ऑन्कोसर्जरी विभाग द्वारा की गई यह दुर्लभ सर्जरी प्रदेश की चिकित्सा क्षमताओं का प्रमाण है। अब राज्य के मरीजों को जटिल कैंसर सर्जरी के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।”


🌍 दुनिया में केवल 200 केस दर्ज

डॉ. गुप्ता के अनुसार,

सिस्टिक लिम्फेंजियोमा ऑफ़ रेट्रोपेरिटोनियम के अब तक दुनियाभर में सिर्फ 200 मामले ही सामने आए हैं। इसके इलाज के लिए विशेषज्ञता और अत्यंत सूक्ष्म शल्यकौशल की आवश्यकता होती है।”

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