भोपाल, 04 दिसंबर। खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए आज की रात बेहद खास होने वाली है। दिसंबर की पूर्णिमा इस बार सुपरमून के रूप में दिखाई देगी, जिसे ‘कोल्ड मून’ भी कहा जाता है। यह साल 2024 का अंतिम सुपरमून होगा, इसलिए रातभर आकाश देखने वालों के लिए यह एक अद्भुत क्षण लेकर आएगा।
नेशनल अवॉर्ड विजेता विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि आज रात चंद्रमा पृथ्वी के अपेक्षाकृत सबसे नजदीक आ जाएगा। इसकी पृथ्वी से दूरी लगभग 3,57,218 किलोमीटर रहेगी। दूरी कम होने से यह सामान्य पूर्णिमा की तुलना में बड़ा और अधिक चमकदार नजर आएगा।
सारिका के अनुसार, चांद जब क्षितिज के पास उदित होता है, तब “मून इल्युजन” की वजह से और भी विशाल दिखाई देता है। रात के दौरान यह पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए सुबह 4:44 बजे अपने सबसे नजदीकी बिंदु पेरिजी पर पहुंच जाएगा।
क्या होता है सुपरमून?
सुपरमून तब होता है जब—
- पूर्णिमा हो
- और उसी समय चंद्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे निकट (पेरिजी) बिंदु पर हो
इन दोनों स्थितियों के एक साथ आने पर चांद सामान्य से 10–14% बड़ा और 25–30% ज्यादा चमकीला दिखाई देता है।
कैसे और कहाँ दिखेगा ज्यादा सुंदर?
इसे देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की जरूरत नहीं है।
लेकिन यदि आप—
- शहर की रोशनी और प्रदूषण से दूर
- खुले मैदान या खुले आसमान वाले इलाके में
देखेंगे, तो इसकी चमक और आकार दोनों और स्पष्ट दिखाई देंगे।
क्यों कहा जाता है ‘कोल्ड मून’?
दिसंबर की पूर्णिमा को पश्चिमी देशों में ‘कोल्ड मून’ कहा जाता है क्योंकि इस समय उत्तरी गोलार्ध में सबसे ठंडी रातें शुरू हो जाती हैं।
आज की रात का सुपरमून इस साल की अंतिम खगोलीय चमक है, जिसे हर कोई नंगी आंखों से आसानी से देख सकता है।




