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सफलता की एकमात्र कुंजी स्वदेशी दर्शन पर आधारित राष्ट्र प्रथम की नीति- डॉ. अश्विनी महाजन

रायपुर, 11 मार्च (हि.स.)। रायपुर स्वदेशी जागरण मंच की दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद की बैठक सोमवार को यहां संपन्न हुई। स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्विनी महाजन ने कहा कि पूरा विश्व भू आर्थिक विखंडन के सिंड्रोम से गुजर रहा है, इस समय सफलता की एकमात्र कुंजी स्वदेशी दर्शन पर आधारित राष्ट्र प्रथम की नीति है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वदेशी जागरण मंच अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के खिलाफ नहीं है बल्कि मंच का दृढ़ विश्वास है कि बहुपक्षीय व्यापार समझौते अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे नहीं हैं क्योंकि सभी देशों को मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा देने का कोई मतलब नहीं है। अतः इस प्रस्ताव के माध्यम से स्वदेशी जागरण मंच ने पुरजोर और अपील की है कि जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किया जाए, हमारा विकास ग्राम आधारित विकास हो। भारत के लिए आर्थिक विकास का सही पथ यही होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका मुक्त व्यापार प्रणाली का सबसे बड़ा समर्थक था जिसका विरोध स्वदेशी जागरण मंच के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी ने शुरू किया और बताया कि उदारीकरण वैश्वीकरण और निजीकरण की नीति भारत के लिए फलदायक नहीं है। अमेरिका की मुक्त व्यापार नीति ही किसी न किसी तरह से अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ती बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है।

बैठक की जानकारी देते हुए मंच के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. धर्मेन्द्र दुबे ने बताया कि बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए। इन प्रस्तावों में संभावित भारत अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता में किसान और लघु उद्योगों के हितों को मिले प्राथमिकता तथा भारतीय सामाजिक आर्थिक चिंतन पर आधारित महान और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण शामिल हैं।

देशभर से आए प्रमुख पदाधिकारियों ने चर्चा उपरांत प्रस्ताव पारित किया। उन्होंने अमेरिका और अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करते समय राष्ट्रीय हितों की रक्षा , विशेष रूप से हमारे किसान और छोटे उद्योगों के हितों की रक्षा अनिवार्य किये जाने पर सहमति व्यक्त की। चर्चा में प्रस्तावों पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा गया कि अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा कई देशों से आयात पर उच्च टैरिफ लगाने की अपनी मंशा की घोषणा और वैश्विक मुक्त व्यापार प्रणाली पर किए गए हमले के कारण अमेरिका द्वारा भारत सहित अन्य देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते होने की प्रबल संभावना को देखते हुए यह सुविचारित मत प्रकट किया कि भारत को बहुपक्षीय व्यापार समझौते के बजाय द्विपक्षीय व्यापार समझौते के साथ अपने विदेशी व्यापार को बढ़ाना चाहिए।

आठ एवं नौ मार्च को आयोजित हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद बैठक में स्वदेशी जागरण मंच द्वारा एक प्रस्ताव यह भी पारित किया गया है जिसमें भारतीय सामाजिक आर्थिक चिंतन पर आधारित महान और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण किया जाए इसके लिए 8 बिंदुओं पर बात रखी गई है। इन बिंदुओं के आधार पर ही महान एवं समृद्ध भारत का निर्माण संभव है। स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सहसंयोजक प्रोफेसर राजकुमार मित्तल ने इस प्रस्ताव के तहत बताया कि भारत को विकेंद्रीकरण की अर्थव्यवस्था को अपनाना होगा जहां घर-घर एवं गांव आत्मनिर्भर बन सके। जिला उद्योग केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था एमएसएमई क्षेत्र उद्यमिता प्रोत्साहन और बेरोजगारी गरीबी और असमानताओं जैसी समस्याओं को हल करने तथा नियोजन प्रणाली को जिला स्तर पर मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। स्वरोजगार एवं उद्यमिता केंद्रित विकास हमारे भारत को महान और समृद्ध बना सकता है। असंगठित क्षेत्र का संरक्षण एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर लगभग 65 फीसदी लोग जो गांव में रहते हैं उनका कुशल ग्रामीण अर्थव्यवस्था के माध्यम से निवेश, नवाचार प्रोत्साहन और संस्थाओं को मजबूत कर भारत को समृद्ध बनाने में योगदान हो सकता है। भारत के किसानों को नई व कुशल प्रौद्योगिकियों कृषि प्रथाओं कृषि स्टार्टअप और एफपीओ को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित कर उनकी आय को बढ़ाया जा सकता है। जो भारत को समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में सहयोगी सिद्ध होगा। जनसंख्या लाभांश का प्रभावी उपयोग हो। भारत की युवा शक्ति को उद्यमिता की ओर अग्रसर करने की वर्तमान आवश्यकता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह कार्यवाहक कृष्ण गोपाल ने राष्ट्रीय परिषद बैठक के समापन सत्र में संबोधित करते हुए भारत के उत्पादन की ताकत एवं क्षमता को भारत के स्वास्थ्य के आधार पर बढ़ाने को आवश्यक बताया । उन्होंने कहा कि स्वदेशी आधारित पर्यावरण परक एवं सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर किए गए विकास की गति का मूल्यांकन हमारे विकास का मूल्यांकन होना चाहिए। देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता इनिक्वालिटी पर भी उन्होंने चिंता जताई। स्वदेशी जागरण मंच के समन्वय में किए जा रहे स्वावलंबी भारत अभियान के सुखद परिणामों की भी कृष्ण गोपाल ने प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आज युवा अपने उद्यम अपने स्टार्टअप और अपने स्वरोजगार की ओर बढ़ रहा है जो भारत की विकास धारणा के मूल तत्व को प्राप्त करने के समान है।

राष्ट्रीय परिषद बैठक में प्रथम दिवस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बी भागैया जी ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और छोटे उद्योग धंधे, छोटे व्यवसाय व्यापार को प्रोत्साहन देने और उनका संरक्षण करने की वकालत की। मंच द्वारा किए जा रहे कार्य एवं समाज की आवश्यकताओं को देखते हुए कार्यों की गति बढ़ाने का आह्वान भी उन्होंने किया।

मंच की इस परिषद बैठक में 18 सत्र के माध्यम से देश एवं समाज के 22 से अधिक विषयों पर चिंतन मंथन किया गया। बैठक में देश के सभी प्रदेशों से 380 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। विषय विशेषज्ञों ने अपने प्रेजेंटेशन भी रखे। प्रदेशों से आए हुए प्रतिनिधियों ने अपने.अपने प्रदेश में किया जा रहे कार्यों की प्रगति समीक्षा भी प्रस्तुत की। राष्ट्रीय परिषद बैठक में मंच ने पर्यावरण चिंतन टोली का भी निर्माण किया जिसमें दीपक शर्मा ,प्रदीप एवं अमित को जिम्मेदारी दी जो पर्यावरण से संबंधित नीति निर्धारण एवं वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संबंधी घटकों का चिंतन एवं अध्ययन कर भारत की नीति निर्धारण में एवं जन जागरण में इसकी प्रासंगिकता को बढ़ावा देंगे ।

मंच के राष्ट्रीय संयोजक और सुंदरम संगठन कश्मीरी लाल सहसंयोजक कोलकाता के डॉक्टर धनपत अग्रवाल, दिल्ली के डॉक्टर अश्विनी महाजन, राजकुमार मित्तल, नागपुर के अजय पतकी की स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह समन्वयक भोपाल के जितेंद्र गुप्त मुरादाबाद के डॉक्टर राजीव कुमार एवं सवाई माधोपुर राजस्थान की अर्चना मीणा ने भी सत्रों को संबोधित किया।

राष्ट्रीय परिषद बैठक के समापन में छत्तीसगढ़ प्रांत संयोजक जगदीश पटेल एवं मध्य भारत क्षेत्र संयोजक सुधीर दांते क्षेत्र संगठक केशव दुबौलिया ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

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