जर्मनी से हरिद्वार तक गंगा का संदेश
गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने जर्मनी की फ्रैंकफर्ट पार्लियामेंट में गंगा की महिमा पर व्याख्यान देने के बाद हरिद्वार पहुंचकर हर की पैड़ी पर विधिवत गंगा पूजन किया।
उन्होंने कहा कि गंगा से पवित्र कोई नदी नहीं और हरिद्वार से बड़ा कोई तीर्थ नहीं है।
उनके अनुसार गंगा केवल नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और चेतना की आत्मा है।
जर्मनी की संसद में गंगा का गौरव
तन्मय वशिष्ठ ने फ्रैंकफर्ट की संसद में गंगा के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि गंगा भारत की जीवनरेखा है और करोड़ों लोगों की आस्था इससे जुड़ी है।
उनके व्याख्यान के बाद यूरोप में गंगा और भारत की सनातन परंपरा को लेकर लोगों की रुचि और बढ़ी है।
कई लोगों ने भारत और गंगा को नज़दीक से जानने की इच्छा जताई।
हर की पैड़ी पर भावुक क्षण
हरिद्वार लौटते ही तन्मय वशिष्ठ ने मां गंगा का आभार प्रकट करने के लिए हर की पैड़ी पर विशेष गंगा पूजन किया।
इस अवसर पर तीर्थ पुरोहित समाज ने उनका पारंपरिक ढंग से स्वागत किया।
घाट पर “हर-हर गंगे” के जयघोष गूंज उठे और वातावरण भक्तिमय हो गया।
वशिष्ठ ने कहा कि विदेशों में गंगा की महिमा फैलाना उनका सौभाग्य है।
विश्व में भारत की आध्यात्मिक पहचान
उन्होंने कहा कि गंगा की पवित्रता और भारतीय संस्कृति की गहराई आज पूरी दुनिया को आकर्षित कर रही है।
यह भारत की सॉफ्ट पावर और आध्यात्मिक शक्ति का प्रमाण है।




