📍 वाराणसी, 6 जून (हि.स.)
धर्म नगरी काशी में निर्जला एकादशी पर शुक्रवार को हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी में पुण्य की डुबकी लगाई और गंगाघाटों पर दानपुण्य किया। भोर से ही श्रद्धालु दशाश्वमेध घाट, राजेन्द्र प्रसाद घाट, शीतलाघाट, अहिल्याबाई घाट, पंचगंगा घाट और सामनेघाट पर पहुंचने लगे, जहाँ गंगा स्नान का भव्य आयोजन हुआ।
🔶 आस्था का सैलाब
स्नानार्थियों की भारी भीड़ गौदोलिया से दशाश्वमेध घाट तक मेले जैसा नजारा प्रस्तुत कर रही थी। जिला प्रशासन ने गंगा तट से लेकर बाबा विश्वनाथ दरबार तक सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे।
🛑 पुरोहित का संदेश
दशाश्वमेध घाट के तीर्थ पुरोहित राजू तिवारी ने बताया कि सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और सभी एकादशियों में इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से पूरे साल के एकादशी व्रत का फल मिलता है।
🍌 दान-पुण्य और नियम
- एकादशी के दिन चावल नहीं खाते और न ही दान करते हैं।
- फल, फूल, आम, केला आदि दान किए जाते हैं।
- जल भरकर ब्राह्मणों को दान दिया जाता है।
- यह व्रत संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करता है।
📜 पौराणिक मान्यता
निर्जला एकादशी को भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस एकादशी में ब्रह्महत्या सहित सभी पापों का नाश होता है। इस दिन मन, वचन और कर्म से पापों से बचना चाहिए तथा तामसिक आहार, परनिंदा और अपमान से दूर रहना चाहिए।
📌 निष्कर्ष:
भक्तिपूर्वक इस व्रत का पालन करने से व्रती को करोड़ों गायों को दान करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है और यह दिन चराचर जगत के स्वामी भगवान विष्णु की भक्ति और आस्था का प्रतीक है।