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ट्रंप प्रशासन डेटा मसले पर जिला अदालत के आदेश के खिलाफ पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

वाशिंगटन, 03 जुलाई (हि.स.)। संयुक्त राज्य अमेरिका की एक जिला अदालत के सामाजिक सुरक्षा प्रशासन (एसएसए) के आम नागरिकों से संबंधित संवेदनशील डेटा तक एलन मस्क के सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) के सदस्यों की पहुंच पर रोक लगाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि डीओजीई के सदस्यों को एसएसए के डेटा (रिकॉर्ड) तक पहुंच प्रदान की जाए।

द न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इस पर तत्काल दखल की जरूरत है। एक जिला न्यायालय ने इस मसले पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध संघीय प्राथमिकताओं को अपूरणीय क्षति पहुंचाते वाला और कार्यकारी शाखा के कार्यों को बाधित करना है। बताया गया है कि ट्रंप प्रशासन ने हाल के हफ्तों में इस तरह के कई आवेदन दायर किए हैं। इनमें गुरुवार को एक आव्रजन मामले में दाखिल किया गया आवेदन भी शामिल है।

यूएस टु़डे अखबार की खबर के अनुसार, ट्रंप प्रशासन के सुप्रीम कोर्ट जाने की खास वजह यह है कि मैरीलैंड में एक संघीय न्यायाधीश ने एलन मस्क के सरकारी दक्षता विभाग को यूएस सामाजिक सुरक्षा प्रशासन के पास सुरक्षित लाखों अमेरिकियों के डेटा तक पहुंच प्रदान करने पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया है। संघीय न्यायाधीश का मानना है कि एलन मस्क के विभाग ने इस डेटा पर पहुंच बनाकर संघीय गोपनीयता कानून का उल्लंघन किया है।

ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि संघीय न्यायाधीश ने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा लांघी है। उन्होंने डीओजीई को होटल के कमरों में घुसने वाले घुसपैठियों के बराबर माना है, न कि उन कर्मचारियों के रूप में जो एजेंसी की तकनीक को आधुनिक बनाने और कचरे को जड़ से खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।

सॉलिसिटर जनरल सॉयर ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जिला न्यायालयों को राष्ट्रपति और एजेंसी प्रमुखों की सरकार की ‘आवश्यकताओं’ के बारे में अपने स्वयं के दृष्टिकोण को प्रतिस्थापित करने के लिए गोपनीयता अधिनियम का उपयोग करने में सक्षम नहीं होना चाहिए।” डीओजीई ने अपने मिशन के तहत कई एजेंसियों तक पहुंच की मांग की है, ताकि बेकार के खर्चों पर रोक लगाई जा सके। कहा जा रहा है कि मस्क ने दावा किया है कि लाखों मृत अमेरिकी अभी भी सामाजिक सुरक्षा के चेक प्राप्त कर रहे हैं। इस पर दो श्रमिक संघों और एक वकालत समूह ने एसएसए के खिलाफ मुकदमा दायर किया है।

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