बढ़ते शहरीकरण से बढ़ा मानव वन्यजीव संघर्ष
मानव वन्यजीव संघर्ष अब केवल जंगलों तक सीमित नहीं रहा। देहरादून में एक गोलमेज बैठक में विशेषज्ञों ने इस बढ़ती समस्या पर गहरी चर्चा की।
जानवरों की जगह छीनी
सिडार संस्था और दून पुस्तकालय के आयोजन में वक्ताओं ने कहा कि शहरीकरण से इंसान और जानवरों में भौतिक दूरी बढ़ रही है। जानवरों को उनके पुराने आवास नहीं मिल रहे।
समाधान में तकनीक और समझ जरूरी
विशेषज्ञों ने बताया कि ऐप-आधारित सिस्टम, पूर्व चेतावनी प्रणाली और स्थानीय लोगों की भागीदारी मानव वन्यजीव संघर्ष को कम कर सकती है। दीर्घकालिक प्रोजेक्ट ज्यादा असरदार होंगे।
तेंदुआ हमला – नई नहीं, लेकिन गंभीर समस्या
डॉ. हिमानी नौटियाल ने कहा कि तेंदुआ हमला पुरानी समस्या है, लेकिन समाधान आज भी अधूरा है। बैठकें होती हैं, पर सहयोग की कमी से ठोस नतीजे नहीं मिलते।
आदिवासी कलाकारों का अनुभव
लोक कलाकारों का कहना था कि वन्यजीवों के साथ सदियों से सहयोग रहा है। जंगलों का खत्म होना जानवरों को इंसानी इलाकों में धकेल रहा है।
क्या हो सकते हैं उपाय?
- ग्रामीण इलाकों में सुरक्षात्मक ढांचे बनें
- ऐप से सचेत करने वाली प्रणाली हो
- रोजगार विकल्प बढ़ाए जाएं
- नागरिक विज्ञान को बढ़ावा मिले