अमेरिका का एच1-बी वीजा अब महंगा
वाशिंगटन, 20 सितंबर। अमेरिका का एच1-बी वीजा अब पहले से कहीं ज्यादा महंगा हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने नया कार्यकारी आदेश जारी कर वीजा आवेदन शुल्क को 100,000 अमेरिकी डॉलर तय कर दिया है।
भारतीय कर्मचारियों पर असर
इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन भारतीय पेशेवरों पर पड़ेगा जो अमेरिका की आईटी और टेक कंपनियों में नौकरी करते हैं। अब तक वीजा शुल्क 1,700 से 4,500 डॉलर के बीच होता था, लेकिन नई व्यवस्था में यह राशि नाटकीय रूप से बढ़ गई है।
कंपनियों पर भी दबाव
अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और आईबीएम जैसी दिग्गज कंपनियां एच1-बी वीजा पर निर्भर रहती हैं। वर्ष 2024 में सबसे ज्यादा वीजा अमेज़न को मिले थे। नए शुल्क के चलते कंपनियों का खर्च बढ़ेगा और संभव है कि वे नौकरियां विदेशों में शिफ्ट करें।
सरकार का तर्क
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा और केवल “उच्च कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों” को अवसर देने के लिए है। व्हाइट हाउस के अनुसार, कंपनियां अब सिर्फ उन्हीं लोगों को अमेरिका लाएंगी जो वास्तव में असाधारण प्रतिभा रखते हों।
संभावित नकारात्मक प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उलटा भी पड़ सकता है। इससे अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या घट सकती है। यदि पढ़ाई के बाद अमेरिका में काम के अवसर नहीं मिलेंगे, तो छात्र अन्य देशों का रुख कर सकते हैं।
वीजा की सीमाएं
अमेरिकी इमिग्रेशन विभाग के अनुसार, हर साल 65,000 नए H1B वीजा जारी किए जाते हैं। मास्टर डिग्री या उससे अधिक योग्यता वाले आवेदकों के लिए 20,000 अतिरिक्त वीजा की छूट होती है। वित्तीय वर्ष 2026 का कोटा पहले ही पूरा हो चुका है।