प्रमुख तथ्य:
- 🔹 संघीय जज विलियम यंग (मैसाचुसेट्स) ने ट्रंप द्वारा NIH (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ) के अनुदान रद्द करने को अवैध करार दिया।
- 🔹 रद्द किए गए अनुदानों में LGBTQ+ शोध जैसे संवेदनशील विषय भी शामिल थे।
- 🔹 जज ने कहा कि यह निर्णय संघीय कानूनों का उल्लंघन और संभावित भेदभावपूर्ण कार्रवाई है।
- 🔹 अनुदान रद्द करने के खिलाफ 16 राज्यों और एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर मुकदमा दायर किया था।
- 🔹 वादियों का आरोप: $1.8 बिलियन तक की अनुसंधान निधि में कटौती की गई।
सरकारी प्रतिक्रिया:
- 🗣 स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के संचार निदेशक एंड्रयू निक्सन ने कहा कि विभाग अपने निर्णय पर अडिग है।
- 🧾 उन्होंने फैसले के खिलाफ अपील और स्टे की मांग जैसे सभी कानूनी विकल्पों पर विचार की बात कही।
वादियों की प्रतिक्रिया:
- 🎓 हार्वर्ड टी.एच. चैन स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ब्रिटनी चार्लटन ने फैसले का स्वागत किया और कहा: “यह निर्णय न्याय की जीत है। अदालत ने सरकार की भेदभावपूर्ण कार्यवाही को खारिज कर दिया।”
🧪 महत्त्व:
यह मामला न केवल शोध की स्वतंत्रता से जुड़ा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राजनीतिक हस्तक्षेप और वैज्ञानिक अनुसंधान के बीच स्पष्ट सीमा की जरूरत है।