वाराणसी। शारदीय नवरात्र के महाअष्टमी पर्व पर मंगलवार को वाराणसी में श्रद्धालुओं ने मां अन्नपूर्णा (महागौरी) के दरबार में मत्था टेका। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में दर्शन-पूजन और परिक्रमा का सिलसिला देर रात से शुरू हुआ। महिलाएं विशेष रूप से अपने परिवार में सुख, शांति और वंशवृद्धि की कामना के लिए मंदिर पहुंचीं।
मंदिर में आधी रात के बाद से ही श्रद्धालु कतारबद्ध होकर दर्शन के लिए प्रतीक्षा करने लगे। इस दौरान बैरिकेडिंग और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। मंहत शंकर पुरी की देखरेख में माता के विग्रह को पंचामृत स्नान कराया गया, नवीन वस्त्र और आभूषण धारण कराकर भोग अर्पित किया गया और फिर मंगला आरती का आयोजन हुआ।
श्रद्धालुओं ने गर्भगृह परिसर की परिक्रमा भी की और मां अन्नपूर्णा के प्रति गहरी श्रद्धा दिखाई। लाखों भक्तों ने अष्टमी का व्रत रखा और माना जाता है कि माता के दर्शन मात्र से पूर्व के पाप धुल जाते हैं और भक्तों को अलौकिक सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त होती हैं।
आचार्य ज्योतिषविद रविंद्र तिवारी के अनुसार, महागौरी अन्नपूर्णा की चार भुजाएँ हैं। उनके ऊपर वाले दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और त्रिशूल, बाएँ हाथ में डमरू और वर-मुद्रा है। वाहन वृषभ है और उनका वर्ण पूर्णतः गौर है।
सनातन धर्म में मां अन्नपूर्णा को संसार की भरण-पोषण की देवी माना जाता है। काशी में यह मंदिर श्री यंत्र के आकार में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब धरती पर अकाल पड़ा और अन्न संकट गहरा गया, तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी। देवी ने स्वयं प्रकट होकर अन्न दान दिया और काशी में यह वचन दिया कि यहाँ कोई भूखा नहीं रहेगा।
वाराणसी के इस ऐतिहासिक महाअष्टमी उत्सव में श्रद्धालुओं की बड़ी भागीदारी और विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच यह धार्मिक कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।