कोलकाता, 10 जुलाई (हि.स.) – पश्चिम बंगाल के प्रतिष्ठित विद्यासागर विश्वविद्यालय एक बड़े विवाद में घिर गया है।
विश्वविद्यालय के इतिहास प्रश्नपत्र में पूछे गए एक सवाल ने स्वतंत्रता सेनानियों को ‘आतंकवादी’ बताकर राजनीतिक और सामाजिक भूचाल ला दिया है।
❓ क्या था विवादित सवाल?
प्रश्नपत्र में पूछा गया था:
“मेदिनीपुर के तीन ऐसे जिला मजिस्ट्रेटों के नाम बताइए जिन्हें आतंकवादियों ने मारा था।”
इस सवाल ने उन क्रांतिकारियों को ‘आतंकवादी’ बता दिया जो अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाकर देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे।
यह सवाल न केवल असंवेदनशील है, बल्कि इतिहास के अपमान जैसा माना जा रहा है।
⚠️ तीखी प्रतिक्रियाएं और सियासी घमासान
- शिक्षाविदों और नागरिक समाज ने सवाल की निंदा करते हुए सवाल बनाने वाले शिक्षक की वैचारिक निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
- भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को पत्र लिखकर दोषी पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
- माकपा ने आरोप लगाया कि यह घटना इतिहास के विकृतिकरण का हिस्सा है, और राज्य व केंद्र दोनों इसके लिए जिम्मेदार हैं।
- तृणमूल कांग्रेस की स्थानीय इकाई ने भी इसे ‘अक्षम्य भूल’ माना और सख्त शब्दों में निंदा की।
🏛️ विश्वविद्यालय की सफाई
रजिस्ट्रार जे.के. नंदी ने इसे एक “टाइपिंग मिस्टेक” बताया और कहा कि
“आपात बैठक बुलाई गई है। दोषी के खिलाफ जांच होगी और भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराई जाएगी।”
लेकिन कई शिक्षाविदों का मानना है कि यह केवल टाइपिंग एरर नहीं, बल्कि गंभीर वैचारिक लापरवाही है।
📉 शिक्षा व्यवस्था पर गहरा सवाल
विद्यासागर जैसे महान समाज सुधारक के नाम पर बने विश्वविद्यालय में इस प्रकार की गलती, पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था की गिरती साख का प्रतीक बन गई है।
- क्या आज की शिक्षा व्यवस्था में इतिहास को समझने और सहेजने की ज़िम्मेदारी निभाई जा रही है?
- या फिर राजनीतिक विचारधाराएं अब पाठ्यक्रम और प्रश्नपत्रों को प्रभावित कर रही हैं?
🔚 निष्कर्ष:
यह मामला सिर्फ एक सवाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को किस तरह से चुनौती दी जा रही है।
सवाल यह है कि क्या शिक्षा व्यवस्था इस चुनौती का सही और ईमानदार जवाब दे पाएगी?