विजयादशमी 2025 का विशेष महत्व
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) हर वर्ष विजयादशमी पर अपना स्थापना दिवस मनाता है। इस बार संघ अपने विजयादशमी 2025 पर्व को शताब्दी वर्ष के रूप में खास अंदाज में मना रहा है। परंपरागत पंचांग और अंग्रेजी तारीख को मिलाकर उत्सव की रूपरेखा बनाई गई है।
पंचांग और अंग्रेजी तारीख का संतुलन
संघ की स्थापना 27 सितंबर 1925 को नागपुर में विजयादशमी के दिन हुई थी। इस वर्ष 27 सितंबर को पथसंचलन और 2 अक्टूबर को पंचांग अनुसार मुख्य कार्यक्रम तय किया गया है। यह कदम विजयादशमी 2025 को ऐतिहासिक बना रहा है।
पथसंचलन की भव्यता
27 सितंबर को नागपुर शहर में तीन स्थानों से एक साथ पथसंचलन शुरू होगा। हजारों स्वयंसेवक गणवेश में शामिल होंगे। जीरो माइल और वरायटी चौक पर शक्ति प्रदर्शन के बाद सभी दल सीताबर्डी स्थित वरायटी चौक पर एकत्र होंगे। यहां सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत पथसंचलन का निरीक्षण करेंगे।
मुख्य आयोजन 2 अक्टूबर को
विजयादशमी 2025 का प्रमुख कार्यक्रम रेशीमबाग मैदान में होगा। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि होंगे और डॉ. मोहन भागवत संबोधन देंगे। अनुमान है कि इस बार स्वयंसेवकों की संख्या 20,000 से अधिक होगी।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की भागीदारी
अमेरिका, थाईलैंड, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और घाना से प्रतिनिधि इस उत्सव में शामिल होंगे। साथ ही कई उद्योगपति और सेना अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।