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आपात स्थिति एवं बरसात के कारण टली वन्य जीवों की गणना, अब अगली पूर्णिमा को होगी

चित्तौड़गढ़, 10 मई (हि.स.)। हर वर्ष वैशाख पूर्णिमा के मौके पर आयोजित होने वाली वन्य जीव गणना इस बार टल गई है। तीन दिन से जिले में हो रही बरसात एवं वर्तमान में जारी आपात स्थिति को देखते हुए वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने निर्णय किया है। इस संबंध में शुक्रवार शाम को ही वन विभाग के उच्च अधिकारियों ने आदेश जारी किया है। वहीं वन्य जीव प्रेमी भी वन विभाग के निर्देशों का इंतजार कर रहे थे।

जानकारी के अनुसार प्रतिवर्ष बैसाख पूर्णिमा के मौके पर वन्य जीव गणना की जाती है। इस दिन पूर्णिमा की धवल रोशनी में आसानी से वाटर हॉल पर वन्य जीवों की गिनती की जा सकती है। लेकिन इस बार तीन-चार दिन से बादल छाए रहने के साथ ही बरसात भी हुई है। इसके अलावा आगामी दिनों में भी यही संभावना बनी रह सकती है। साथ ही वर्तमान की आपात स्थिति के चलते वन्य जीव गणना को फिलहाल टालने का निर्णय किया है। वन्य जीव गणना को लेकर उच्चाधिकारियों की बैठक का दौर लगातार जारी था। शुक्रवार दोपहर तक इसे लेकर कोई अधिकृत सूचना जारी नहीं हुई थी, जिससे असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। वहीं अब शुक्रवार शाम को आदेश जारी हुआ है, जिसमें इस पूर्णिमा को वन्य जीव गणना को स्थगित कर दिया है।

आदेश में यह दिए निर्देश

उपवन संरक्षक चित्तौड़गढ़ राहुल झांझड़िया ने बताया कि वन्य जीव गणना को लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक शिखा मेहरा का आदेश मिला है। इसमें बताया कि 12 मई को सुबह आठ बजे से 13 मई की सुबह आठ बजे तक 24 घंटे वन्य जीव गणना को लेकर पूर्व में आदेश दिए थे। लेकिन प्रदेश के कई जिलों में हुई बरसात वर्तमान में उत्पन्न आपात स्थिति को देखते हुए वन्य जीव गणना आंकलन स्थिति को स्थगित किया जाता है। अब यह वन्य जीव गणना ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा 11 व 12 जून को होगी।

वॉलियेन्टर्स को भी नहीं सूचना

वन्य जीव गणना में विभागीय कर्मचारियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में वन्य जीव प्रेमी और वॉलियेन्टर्स भी हिस्सा लेते है। लेकिन गणना में महज दो दिन शेष थे और गणना को लेकर किसी प्रकार की कोई सूचना वन्य जीव प्रेमियों को भी नहीं दी थी।

बस्सी एवं सीतामाता सेंचुरी में वाटर हॉल पद्धति से गणना

उपवन संरक्षक चित्तौड़गढ़ राहुल झांझड़िया ने बताया कि चित्तौड़गढ़ जिले में सीता माता व बस्सी सेंचुरी के अलावा कई उपखंड क्षेत्र में वन्य जीवों की गणना की जाती है। वाटर हॉल पद्धति के आधार पर यह वन्य जीवों की गणना होती है। इसके लिए कई वाटर हॉल भी चिन्हित किए गए थे।

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