फर्रुखाबाद के मोहल्ला दरीबा पश्चिम में श्रीमद्भागवत कथा का तीसरा दिन भक्तिभाव से सम्पन्न हुआ।
कथा व्यास गंगोत्री तिवारी मृदुल महाराज ने ध्रुव चरित्र का दिव्य और मार्मिक वर्णन किया।
उन्होंने बताया कि भगवान केवल निर्मल और शुद्ध मन वाले भक्तों को अत्यंत प्रिय होते हैं।
छल-कपट रखने वाले लोग भगवान की कृपा के पात्र नहीं बन सकते।
व्यास जी ने कहा कि ध्रुव ने भावपूर्ण भक्ति की, इसलिए भगवान ने उन पर प्रसन्न होकर वरदान दिया।
उन्होंने मीरा Bai का उदाहरण देते हुए भावभक्ति का महत्व समझाया।
व्यास जी बोले कि कलियुग में सुविधाएँ बढ़ीं, पर लोगों के भीतर अशांति भी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि जीवन में शांति चाहिए तो जुआ, शराब और व्यभिचार से दूर रहना आवश्यक है।
मांसाहार और कुसंग से भी अशांति बढ़ती है, इसलिए इनसे बचने की सलाह दी।
व्यास जी ने कहा कि हमारे शास्त्र सदैव धर्म, सत्य और सत्मार्ग पर चलना सिखाते हैं।
उन्होंने सती प्रसंग सुनाते हुए बताया कि अभिमान करने से दक्ष का नाश हुआ।
भगवान शिव ने सती अपमान के बाद दक्ष का गर्व मिटाकर धर्म की रक्षा की।
मुख्य यजमान ऋषि दत्त शर्मा और गुड्डू पंडित ने सपत्नीक विधिवत पूजन किया।
कथा में प्रवेश पाण्डेय, राजेश शर्मा, अंश शर्मा, चेतन शर्मा सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
भक्तों की भारी भीड़ ने कथा स्थल पर दिव्य और आत्मिक वातावरण बना दिया।




