सीमांचल बनेगा किंगमेकर! बिहार चुनाव का नया सियासी रण
पटना | बिहार चुनाव के अंतिम चरण से पहले सीमांचल इलाका सियासत का सबसे बड़ा फोकस बन गया है। मंगलवार को 20 जिलों की 122 सीटों पर मतदान होगा, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा सीमांचल की 24 सीटों की है। यह इलाका न सिर्फ बिहार की सत्ता तय करेगा, बल्कि 2029 की राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव छोड़ सकता है।
सीमांचल के चार जिले — किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया — इस समय तीन बड़ी ताकतों के बीच युद्धभूमि बने हैं। भाजपा सीमांचल को विकास और सुरक्षा नैरेटिव से टारगेट कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने बड़े रैलियों के जरिए संदेश दिया कि सीमांचल अब हाशिए पर नहीं रहेगा। भाजपा ने 12,000 कमजोर बूथोँ में विशेष रणनीति बनाई है और यहां 8-10 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।
ओवैसी का कार्ड और राजद की चिंता
एआईएमआईएम ने 2020 में इसी इलाके से पांच सीटें जीती थीं। ओवैसी के फिर एंट्री करने से मुस्लिम वोट बैंक राजद से खिसक सकता है। इसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है। महागठबंधन के भीतर तेज प्रताप यादव की नई पार्टी ने भी नया दबाव बनाया है।
राहुल बनाम भाजपा की नैरेटिव लड़ाई
राहुल गांधी ईवीएम से लेकर “वोट चोरी” तक बयान दे रहे हैं। भाजपा इसे हताशा बता रही है और विकास के मुद्दे को मुख्य फोकस बनाने की कोशिश कर रही है।
2029 का सियासी संकेत
विशेषज्ञों के अनुसार सीमांचल इस बार सिर्फ विधानसभा नहीं, बल्कि 2029 के लोकसभा समीकरण का टेस्टिंग जोन है। जैसे बंगाल ने राष्ट्रीय ध्रुवीकरण को बदला था, वैसा असर सीमांचल से भी निकल सकता है।




