यमुनानगर, 30 जनवरी (हि.स.)। देश के विभिन्न राज्यों में आरएसएस एवं संबंधित संगठनों द्वारा ईसाई समुदाय के ऊपर हो रहे अत्याचार व उनके धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ के विरोध में बड़ी संख्या में समुदाय के लोगों ने लघु सचिवालय पर इकट्ठा होकर जिला उपायुक्त के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
गुरुवार को लघु सचिवालय पर बड़ी संख्या में इकठ्ठा होकर पहुंचे ईसाई समुदाय के लोगों ने विभिन्न राज्यों में उनके समुदाय पर हो रहें अत्याचार और झूठे प्रचार कर उनके धार्मिक स्थलों पर तोड़फोड़ व व्यक्तिगत जीवन में हानि पहुंचाने के विरोध में जिला उपायुक्त को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
ईसाई समाज के लोगों का कहना था कि इन अपराधों पर पुलिस द्वारा संज्ञान लेने पर भी कोई कार्रवाई नहीं जा रही है। बल्कि पीड़ित पक्ष पर ही केस दर्ज किए जा रहें है। न्यायिक रूप से हालात ठीक नहीं है। इन पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। मूल निवासियों की आवाज को दबाया जा रहा है। वहीं धार्मिक आधार पर पूर्ण रूप से मौलिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले एवं अन्य राज्यों में भी बाहुल्य अधिवासी क्षेत्र में आरएसएस द्वारा गठित इकाई जनजाति सुरक्षा मंच के द्वारा यह प्रचारित किया जा रहा है कि ईसाई धर्म में विश्वास रखने वाले आदिवासियों की छटनी की जाए और आरक्षण से मिली नौकरियों से बर्खास्त किया जाए। आंकड़े बताते है कि आदिवासियों का उत्थान ईसाई धर्म मशीनरी द्वारा किया जा रहा है। जबकि आरएसएस द्वारा आदिवासी लोगों को हिंदू के नाम पर केवल धार्मिक गुलाम बनाया जा रहा है। जबकि इन्होंने आदिवासियों के जीवन उत्थान के लिए कुछ नहीं किया। जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा आदिवासियों को बांटकर कर लड़ाई- झगड़े कराने और घृणा फैलाने के काम किया जाता है। इसी तरह से राजस्थान के बांसवाड़ा, उड़ीसा के भुवनेश्वर और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और राजगढ़, हरियाणा अंबाला में कई घटनाएं हुई है। इसी तरह से देश के अलग-अलग राज्यों में योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जा रहा है और इसमें सरकार में बैठे लोग शामिल है।
उन्होंने ईसाई धर्म पर इस तरह से किए जा रहें षड्यंत स्वरूप हमले करने वाले असामाजिक तत्वों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की।