Tue, Mar 4, 2025
17 C
Gurgaon

अनीता के हाथों से बनी पपीते और आंवले की बर्फी ने बनाई अलग पहचान

हमीरपुर, 02 मार्च (हि.स.)। घी और तेल की चिकनाई तथा चीनी से परहेज करने वाले लोग भी क्या बर्फी, लड्डू-पेड़े के स्वाद का मजा ले सकते हैं? क्या इन लोगों को ऐसी बर्फी, लड्डू और पेड़े खाने को मिल सकते हैं, जिनमें घी, तेल और चीनी का प्रयोग ही न किया गया हो? क्या घी या तेल और चीनी के बगैर भी इस तरह की मिठाइयां बनाई जा सकती हैं?

अमूमन, आपको इन सभी प्रश्नों के उत्तर तो ‘ना’ में ही मिलेंगे। लेकिन, हमीरपुर जिले के नादौन उपमंडल के एक छोटे से गांव जंदली गुजरां में आपको इस तरह की अत्यंत स्वादिष्ट, पौष्टिक गुणों से भरपूर और घी-तेल एवं चीनी से रहित मिठाइयां मिल जाएंगी।

ये गुणकारी मिठाइयां किसी बड़े उद्यम या फैक्टरी में नहीं बन रही हैं। बल्कि, एक आम ग्रामीण महिला द्वारा बनाया गया एक छोटा सा महिला स्वयं सहायता समूह ही ये मिठाइयां बना रहा है। राधे कृष्णा स्वयं सहायता समूह की इन गुणकारी मिठाइयों ने सिर्फ जिला हमीरपुर में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

नादौन उपमंडल के रंगस क्षेत्र के गांव जंदली गुजरां की अनीता ठाकुर ग्रामीण क्षेत्रों की आम महिलाओं की तरह ही अपना जीवन-यापन कर रही थीं। वह गाय-भैंस का दूध बेचकर हर माह कुछ आय अर्जित कर रही थी। अपनी आय बढ़ाने के लिए उन्होंने आतमा परियोजना की मदद से छोटे पैमाने पर पनीर और खोआ का उत्पादन शुरू किया। इसके बाद ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने उन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत महिला स्वयं सहायता समूह के गठन के लिए प्रेरित किया। अनीता ठाकुर ने राधे कृष्णा स्वयं सहायता समूह का गठन किया और कृषि विज्ञान केंद्र में अचार, चटनी, आंवला कैंडी और अन्य मिठाइयां बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

कुछ वर्ष पहले पति की मृत्यु के बाद अनीता ठाकुर पर परिवार की पूरी जिम्मेवारी भी आ गई। इसलिए, उन्होंने अपनी आय बढ़ाने के लिए राधे कृष्णा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पपीते और आंवले इत्यादि की मिठाई का उत्पादन शुरू करने का निर्णय लिया। आज यह समूह बड़े पैमाने पर पपीते और आंवले की बर्फी, लड्डू, पेड़े और कैंडी तैयार कर रहा है। इन सभी मिठाइयों में घी, तेल और चीनी का प्रयोग नहीं किया जाता है। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण घी और तेल की चिकनाई तथा चीनी से परहेज करने वाले लोग भी इन मिठाइयों का स्वाद ले सकते हैं।

पौष्टिकता और अन्य गुणों से भरपूर ये मिठाइयां सिर्फ जिला हमीरपुर में ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश के अन्य क्षेत्रों तथा बाहरी राज्यों में भी खूब पसंद की जा रही हैं।

अनीता ठाकुर ने बताया कि मिठाइयों के उत्पादन से उन्हें काफी अच्छी आय हो रही है और इससे लगभग 10 अन्य महिलाओं को भी सीधा रोजगार मिल रहा है। उन्होंने इसी आय से नया मकान बनाया और लड़की की शादी भी की। वह अपनी दो अन्य बच्चों का पालन-पोषण भी कर रही हैं।

Hot this week

Ratan Tata ने अपनी वसीयत में पेटडॉग का भी रखा ध्यान, जानिए अब कौन करेगा Tito की देखभाल

 हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने...

गंगा नदी के हालात का आकलन करने के लिए पर्यावरणविदों का विशेष अभियान

कोलकाता, 25 जनवरी (हि.स.)कोलकाता की एक पर्यावरण संस्था ‘मॉर्निंग...
spot_img

Related Articles

Popular Categories