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हाइकोर्ट में सोलर लाइट और अन्य उपकरणों के कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में हुई सुनवाई, कोर्ट में सचिव ने पेश किया शपथपत्र

बिलासपुर, 10 मार्च (हि.स.)। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में सोमवार को बस्तर संभाग के जिलों में सोलर लाइट और अन्य उपकरणों को लेकर हुए कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के मामले में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बैंच इस भ्रष्टाचार के मामले में लगातार निगरानी कर रही है। इस पूरे मामले को लेकर प्रकाशित समाचार रिपोर्ट को स्वतः संज्ञान में लेकर सुनवाई करते 19 फरवरी 2025 को हुई सुनवाई के दौरान ऊर्जा विभाग के सचिव और अध्यक्ष से हलफनामा में जवाब मांगा था। जिसे आज कोर्ट के सामने पेश किया गया। जिसमें कोंडागांव जिले में हुई गड़बड़ियों को लेकर के जवाब पेश किया गया और बताया गया कि विधानसभा की समिति बनाई गई है, जिसकी रिपोर्ट नहीं आई है।

दरअसल बस्तर संभाग के जिलों में हुई वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामले के बीच कोंडागांव जिले में भी सोलर स्ट्रीट लाइट की खरीद के संबंध में गंभीर शिकायतें उजागर हुई। यह मुद्दा मीडिया में व्यापक रूप से प्रकाशित हुआ और राज्य की विधानसभा में भी इस पर काफी चर्चा हुई थी। विधानसभा के एक सदस्य के पूछे गए तारांकित प्रश्न के जवाब में, विधानसभा की जांच समिति द्वारा जांच का आदेश सदन में दिया गया था। हाइकोर्ट ने इस जांच के बारे में पूछा, जिसपर महाधिवक्ता ने बताया 06 अगस्त 2024 को की गई घोषणा के अनुसरण में, विधानसभा में 08 अगस्त 2024 को पांच सदस्यों की एक समिति गठित की गई थी। जिसकी रिपोर्ट नहीं आई है। जिस पर कोर्ट ने समिति से इस मामले में जल्द रिपोर्ट आने की अपेक्षा की है। महाधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान यह भी बताया कि सुकमा में कुछ गड़बड़ी उजागर हुई है, वहीं कांकेर में इस मामले को लेकर श‍िकायत भी दर्ज की गई है। वहीं अगली सुनवाई 5 मई 2025 को तय की है।

उल्‍लेखनीय है क‍ि इस स्वतः संज्ञान जनहित याचिका में छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2021 से 2023 के बीच बस्तर के जिलों के विभिन्न गांवों में संबंधित अधिकारियों द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएं होने और आदर्श ग्राम योजना, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, खनिज न्यास निधि और क्षमता विकास निधि जैसे विभिन्न मदों के तहत उपलब्ध धनराशि का दुरुपयोग संबंधित मामले की जानकारी सामने आई। वहीं आवश्यकता से कहीं अधिक लागत पर सौर स्ट्रीट लाइट लगाई गई। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि बस्तर संभाग के जिलों के 100 से ज्यादा गांवों में 3620 सौर स्ट्रीट लाइट 2500 रुपये प्रति यूनिट की दर से लगाई गई। प्रति स्ट्रीट लाइट 47 हजार 600 रुपये की लागत से 17.23 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसी प्रकार जिला सुकमा में 85 लाख रुपये, जिला जांजगीर में 2.96 करोड़ रुपये, जिला कोंडागांव में 8 करोड़ रुपये तथा जिला कांकेर में 14.40 लाख रुपये सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने में खर्च किए गए हैं। जिसमें गड़बड़ी उजागर हुई थी। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (संक्षेप में क्रेडा) के अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने बताया था कि सोलर स्ट्रीट लाइट खरीदने की प्रक्रिया उचित नहीं थी तथा संपूर्ण निविदा प्रक्रिया क्रेडा के माध्यम से की जानी चाहिए थी, जो वर्तमान मामले में नहीं की गई है। राज्य के अधिकारियों को पूरी जानकारी थी, लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक कि भंडार क्रय नियम के तहत निर्धारित नियमों का भी उल्लंघन किया गया।

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