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महाकुंभ : जानें किस मंदिर में पीएम मोदी ने बिताए थे सात वर्ष

महाकुंभ नगर, 30 दिसम्बर(हि.स.)। देश की आजादी में साधु-संतों व मंदिरों की अहम भूमिका रही है। मुगलों व अंग्रेजी शासन के विरूद्ध हजारों साधुओं ने अपनी आहुतियां दीं। आजादी के बाद भी जिस मंदिर के साधु-संत कई बार संघर्ष किए, वह मंदिर प्रयागराज के महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए अन्नक्षेत्र चलायेगा। इस मंदिर में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी अपने शुरूआती जीवन के सात वर्ष बिताए थे। उनके नाम 13 बार रथ खींचने का भी रिकार्ड है, जो कोई तोड़ नहीं पाया। उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए अहमदाबाद स्थित जगन्नाथ मंदिर का 13 बार रथ खींचने का सुअवसर मिला।

जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधक महेन्द्र भाई झा ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष वार्ता में बताया कि कांग्रेस सरकार के प्रतिबंध को चुनौती देने वाले युवक ‘नरेंद्र भाई मोदी’ थे। वह 1970 में अहमदाबाद आए तो उनके पास न तो कोई आय थी और न ही सिर पर छत था,उन्होंने अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर को ही अपना घर बना लिया और करीब सात वर्ष तक इस मंदिर में उन्होंने बिताया। कहा कि इस मंदिर से उनके पूरे प​रिवार का आत्मीय लगाव है। उनकी माता जी भी दर्शन के लिए अक्सर आती थीं।

उन्होंने बताया कि जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने जीवन के सात वर्ष बिताए थे, वह मंदिर प्रयागराज के कुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सेवा के लिए अन्नक्षेत्र चलाएगा। शिविर में संत सम्मेलन भी होगा। गौ संवर्धन तथा गौ आधारित खेती के लिए गोष्ठियां भी होंगी। बताया कि महाकुंभ नगर में श्रद्धालुओं के लिए 01 जनवरी से 15 फरवरी तक अन्नक्षेत्र चलाया जायेगा।

महेन्द्र भाई झा ने बताया कि गुजरात में यह मंदिर आस्था का सबसे बड़ा केन्द्र है। इस मंदिर से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, देश के गृहमंत्री अ​मित शाह समेत कई नेताओं का लगाव है। गृहमंत्री अमित शाह प्रत्येक वर्ष मकर संंक्राति के दिन मंदिर में भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद लेने आते हैं और गौ दान करते हैं। उन्होंने बताया कि महाकुंभ में गृहमंत्री अमित शाह भी आयेंगे।

उन्होंने बताया कि श्री रामानन्द सम्प्रदाय से जुड़े इस मंदिर का इतिहास करीब चार सौ पचास साल पुराना है। यह साधु सारंगदासजी द्वारा बनवाया गया था। इसमें भगवान जगन्नाथ वि​राजित हैं। जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर 1878 में अहमदाबाद में भी रथ यात्रा शुरू की गई। पहली रथ यात्रा 1.5 किलोमीटर लंबी थी,अहमदाबाद शहर के विस्तार के साथ-साथ रथ यात्रा का रूट भी बढ़ता गया और आज यह अहमदाबाद की रथ यात्रा 14 किमी है, जो भारत में तीसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा है।

उन्होंने बताया कि परंपरा के अनुसार हाथियों को जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के पहले दर्शन होते हैं और वे ही जुलूस का नेतृत्व करते हैं। गुजरात के जो भी मुख्यमंत्री होते हैं वह भगवान जगन्नाथ रथ की यात्रा के लिए मार्ग काे सोने की झाड़ू से प्रतीकात्मक सफाई करते हैं, जिसके बाद जुलूस शुरू होता है। बताया कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेन्द्र भाई मोदी को 13 बार भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने का सुअवसर मिला है।

उन्होंने बताया कि इस जगन्नाथ मंदिर के महंत एवं महामण्डलेश्वर दिलीपदासजी महाराज 06 जनवरी को महाकुंभ के मेले क्षेत्र में पहुंचेंगे तथा 09 जनवरी को वैष्णव अखाड़े के छावनी प्रवेश में हिस्सा लेंगे। बताया कि इस मंदिर में 110 प्रकार की देशी नस्ल की तीन हजार गायें हैं तथा 17 हाथी है। उन्होंने बताया कि जगन्नाथ मंदिर की ओर से महाकुंभ क्षेत्र के संगम लोवर, त्रिवेणी मार्ग, सेक्टर-20 स्थित शिविर में प्रतिदिन करीब 15 हजार श्रद्धालुओं का सुबह-शाम भोजन कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि भारत के मंदिरों के इतिहास में पहली वेबसाइट अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर का है, जो नरेन्द्र भाई मोदी के प्रेरणा से संचालित है।

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