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(अपडेट) आइडिया से प्रोटोटाइप और प्रोडक्ट तक की यात्रा कम से कम समय में पूरी हो : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 29 अप्रैल (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगले 25 वर्षों में विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आइडिया से प्रोटोटाइप और फिर प्रोडक्ट तक की यात्रा कम से कम समय में पूरी हो।

प्रधानमंत्री ने मंगलवार को नई दिल्ली के भारत मंडपम में युग्म इनोवेशन कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि आज यहां सरकार, एकेडमी, साइंस और रिसर्च से जुड़े भिन्न-भिन्न क्षेत्र के लोग इतनी बड़ी संख्या में उपस्थित हैं। इस एकजुटता को ही युग्म कहते हैं। एक ऐसा युग्म, जिसमें विकसित भारत के फ्यूचर टेक से जुड़े स्टेकहोल्डर्स एक साथ जुड़े हैं, एक साथ जुटे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि हम जो भारत की इनोवेशन कैपेसिटी और डीप टेक में भारत की भूमिका को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, उसे इस आयोजन से बल मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने विकसित भारत के लक्ष्य के लिए अगले 25 वर्षों की समयसीमा तय की है। हमारे पास समय सीमित है, लक्ष्य बड़े हैं। इसलिए ये जरुरी है कि हमारे आइडिया की प्रोटोटाइप से प्रोडक्ट तक की यात्रा भी कम से कम समय में पूरी हो।

उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रयोगशाला से बाजार तक की दूरी कम करने से लोगों तक शोध के परिणाम तेजी से पहुंचते हैं, शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिलती है और उनके काम के लिए ठोस प्रोत्साहन मिलता है। इससे शोध, नवाचार और मूल्य संवर्धन के चक्र में तेजी आती है। प्रधानमंत्री ने एक मजबूत शोध पारिस्थितिकी तंत्र का आह्वान किया और शैक्षणिक संस्थानों, निवेशकों और उद्योग से शोधकर्ताओं का समर्थन और मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने युवाओं को सलाह देने, वित्त पोषण प्रदान करने और सहयोगात्मक रूप से नए समाधान विकसित करने में उद्योग के नेताओं की संभावित भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए नियमों को सरल बनाने और मंजूरी को तेज़ करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके युवाओं पर निर्भर करता है और शिक्षा प्रणाली युवाओं को देश के भविष्य के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि सरकार भारत की शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार आधुनिक बनाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक शिक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने के बाद भारतीय एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।

उन्होंने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, शिक्षण सामग्री और कक्षा एक से सात तक के लिए नई पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन पूरा होने की जानकारी दी।

उन्होंने पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफार्मों के तहत एआई-आधारित और स्केलेबल डिजिटल शिक्षा अवसंरचना मंच – एक राष्ट्र, एक डिजिटल शिक्षा अवसंरचना के निर्माण पर प्रकाश डाला, जिससे 30 से अधिक भारतीय भाषाओं और सात विदेशी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकें तैयार करना संभव हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क ने छात्रों के लिए एक साथ विविध विषयों का अध्ययन करना आसान बना दिया है।

राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के महत्व पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय 2013-14 में 60,000 करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुना होकर 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।

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