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गांव में बने फाॅर्म हाउस के किचन से पकड़ा गया टाइगर

जयपुर, 3 जनवरी (हि.स.)। तीन दिन में पांच लोगों पर हमला कर चुका युवा और भारी-भरकम टाइगर आखिरकार ट्रैंकुलाइज कर लिया गया। सरिस्का टाइगर रिजर्व से निकला टाइगर एसटी-2402 एक गांव में बने फाॅर्म हाउस के किचन में बैठा हुआ था। खास बात यह है कि उस किचन के बगल के कमरे में ही एक कर्मचारी दरवाजा खुला रखकर सोया हुआ था, जब टाइगर दहाड़ा तब उसे पता चला।

देर रात वनकर्मियों को अलवर जिले के रैणी में चिल्कीबास रोड स्थित एक फॉर्म हाउस के किचन में होने की जानकारी दी गई। सुबह टीम मौके पर पहुंची और करीब तीन घंटे बाद टाइगर को ट्रैंकुलाइज कर लिया गया।

टाइगर एक जनवरी (बुधवार) को सरिस्का से दौसा जिले के महुखुर्द गांव में घुस गया था। यहां उसने पहले तीन लोगों पर हमला किया। इसके बाद उसने ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश में लगे दो वनकर्मियों की गाड़ी पर भी झपट्‌टा मारा था। इस हमले में वनकर्मी बाल-बाल बच गए।

गुरुवार को भी दिनभर उसे ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश होती रही, लेकिन वह खेतों में वनकर्मियों को छकाता रहा। रेंजर कृष्ण कुमार ने बताया कि टाइगर को टैंकुलाइज कर लिया गया है।

ट्रैंकुलाइज करने के बाद 10 लोगों ने मिलकर टाइगर को गाड़ी में डाला और सरिस्का ले गए।

ट्रैंकुलाइज करने के बाद 10 लोगों ने मिलकर टाइगर को गाड़ी में डाला और सरिस्का ले गए।

पलटकर हमला करने का डर था

चिल्कीबास गांव के ओमप्रकाश मीणा के मकान की किचन खुली थी, किचन में गेट नहीं लगा था। टाइगर वहीं घुस गया था। फिर वहीं पर आराम करने लगा। टाइगर को ट्रैंकुलाइज करने वाले डॉ. दीनदयाल ने बताया कि हमें रात को दो बजे सूचना मिली थी कि किसी मकान में टाइगर है। रात को ट्रैंकुलाइज नहीं कर सकते थे।

दीनदयाल ने बताया कि सुबह टीमें मौके पर पहुंची। टाइगर पहले हमला कर चुका था, इसलिए उसके पास बंद कार में जाना पड़ा। बंद कार को किचन से करीब 25 फीट की दूर खड़ा किया। किचन का गेट खुला था, इस कारण पहले ही शॉट में ट्रैंकुलाइज सफल हो गया। टाइगर अग्रेसिव होने के कारण उसके पलटकर हमला करने का डर भी था।

शॉट मारने के बाद टाइगर के बेहोश होने का कुछ देर तक इंतजार किया गया। जब उसकी हलचल बंद हो गई तो उस पर जाल फेंका गया। चार साल का टाइगर इतना बड़ा और भारी था कि उसे तुरंत 10 लोगों ने मिलकर कार में डाला। टाइगर का वजन 200 किलो है।

फॉर्म हाउस का मालिक का कर्मचारी मनोज वहां रहता है। उसने खुद का कमरा भी खुला छोड़ रखा था, लेकिन रात करीब डेढ़ बजे किचन से ही टाइगर ने दहाड़ लगाई। तब वह जागा और उसे पता चला कि टाइगर किचन में है। तब उसने खुद का कमरा बंद किया और मालिक को फोन कर बताया।

फिर मालिक ने पुलिस कंट्रोल रूम को फाेन किया और वन अधिकारियों को जानकारी दी गई।

टाइगर को सरिस्का लेकर आए

डीएफओ अभिमन्यू साहरण ने बताया कि ट्रैंकुलाइज करने में सरिस्का व रणथंभौर की दो टीमों की मुख्य भूमिका रही। जिस फॉर्म हाउस की किचन में टाइगर था, उसके चारों तरफ ओपन एरिया था। सुबह पांच बजे के आसपास सूचना मिलने पर तुरंत टीम भेज दी थी। टाइगर को जिप्सी से सरिस्का लेकर आ गए हैं। अब कुछ देर ऑब्जर्वेशन में रखेंगे। उसके बाद तय होगा कि कब वापस जंगल में छोड़ना है।

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