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भारतीय सैन्य रणनीति की जरूरत है थियेटर कमान

अन्ततः भारत ने सैन्य क्षेत्र में थियेटर कमान की स्थापना और थियेटर कमांडर की नियुक्ति करने का महत्वपूर्ण निर्णय ले लिया। ऑपरेशन सिंदूर के सफल क्रियान्वयन के बाद रक्षा बजट में वृद्धि के प्रस्ताव और पांचवीं पीढ़ी के आक्रामक गहराई से भेदने वाले अत्याधुनिक लड़ाकू विमान ‘एडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट’ परियोजना को मंजूरी देने के साथ यह एक सामयिक सामरिक निर्णय है। बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और भारत की सीमाओं के पास पसरे शत्रुओं के अतीत और इरादों को देखते हुए यह कदम पहले ही उठाने की जरूरत थी। सरकार ने डेढ़ वर्ष से लंबित थियेटर कमान के गठन की जमीनी तैयारियों का क्रियान्वयन शुरू कर दिया है। केंद्र ने अंतर सेवा संगठन अधिनियम (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) यानी (इंटर सर्विसेज ऑर्गेनाइजेशन (कमांड, कंट्रोल एंड डिसिप्लिन एक्ट 2023)) बुधवार को राजपत्र में अधिसूचित कर दिया। यह थियेटर कमान के गठन का प्रथम चरण है।

जाहिर है,ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद केंद्र सरकार ने अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूती प्रदान करनी शुरू कर दी है। हालांकि रक्षा मंत्रालय ने सेनाओं की दक्षता बढ़ाने के लिए ‌थियेटर कमान के गठन का निर्णय पहले कर लिया था। इसके तहत भारतीय सशस्त्र सेनाओं की तीनों सेवाओं की ऐसी कमानें गठित होंगी, जिसमें थल,नभ,जल सेना सहित अर्धसैनिक बलों को भी शामिल किया जा सकता है। यह लंबे समय से प्रतीक्षित सामरिक महत्व का सुधार है जो भविष्य के युद्धों को लड़ने के लिए सैन्य संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए है। संसद से 2023 को पारित इस अधिनियम को इसी 27 मई को सरकार ने भारत के राजपत्र में अधिसूचित कर दिया है। इस महत्वपूर्ण कदम का उद्देश्य एक निश्चित भौगोलिक इकाई में सेना के तीनों अंगों के एक समूह को प्रभावी कमांड, सटीक नियंत्रण और कुशल कामकाज को बढ़ावा देना है, जिससे सशस्त्र बलों के बीच तालमेल बेहतर होगा। यह अधिनियम आईएसओ के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को मजबूत और प्रभावी बनाएगा।

दरअसल ‘थियेटर कमान’ का अर्थ है एक क्षेत्रीय इकाई में सेना, नौसेना और वायु सेना के समन्वित संचालन के लिए एक ही कमांडर के अधीन एकीकृत करना। यह एक ऐसी सैन्य संरचना है, जो विभिन्न सैन्य शाखाओं के बीच समन्वय और दक्षता को बढ़ाएगी। सैन्य क्षेत्र में थिएटर कमान में ‘थियेटर’ का मतलब एक ‘विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र’ से है, जहां सैन्य अभियान या ऑपरेशन किए जाते हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां युद्ध, सैन्य रणनीति, या सुरक्षा से संबंधित गतिविधियां केंद्रित होती हैं। ‘थियेटर’ शब्द का उपयोग सैन्य संदर्भ में इसलिए किया जाता है क्योंकि यह एक युद्ध क्षेत्र या ऑपरेशनल क्षेत्र को दर्शाता है, जैसे कि एक नाटक के मंच की तरह, जहां सभी नाटक के सभी भागों,आयामों, पहलुओं की गतिविधियां एक निर्देशक के निर्देश में समन्वित एवं सुचारु रूप से सम्पन्न होती हैं। थियेटर कमांड की स्थापना एकीकृत बल प्रयोग, परिचालन दक्षता और संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए रक्षा मंत्रालय का 2025 के लिए चुने गए नौ क्षेत्रों में से एक है, जिसे मंत्रालय ने ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है।

राजपत्र में अधिसूचित संदर्भ के अनुसार, यह अधिनियम थियेटर कमांड की स्थापना के लिए कानूनी आधार प्रदान करता है। इस अधिनियम से तीन भौगोलिक कमान (उत्तरी, पश्चिमी, समुद्री) प्रस्तावित किए गए हैं। लखनऊ में चीन-केंद्रित उत्तरी थियेटर कमान, जयपुर में पाकिस्तान-केंद्रित पश्चिमी थियेटर कमान और तिरुवनंतपुरम में हिन्द महासागर या तटीय थियेटर कमान स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो ‘एक सीमा, एक बल’ की अवधारणा के अनुरूप होगा। प्रत्येक थियेटर कमान में सेना, नौसेना, और वायुसेना की इकाइयां एकीकृत रूप से काम करती हैं, ताकि उस क्षेत्र में सैन्य रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके। कमान का सर्वोच्च अधिकारी ‘थियेटर कमांडर’ होता है जो एक सैन्य अधिकारी होता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र (थियेटर ऑफ ऑपरेशन) में सैन्य अभियानों का नेतृत्व करता है। और उस क्षेत्र में सभी सैन्य बलों (सेना, नौसेना, वायुसेना) के संचालन को समन्वयित करता है। यह एक परिचालन कमांडर की (ऑपरेशनल) भूमिका है, जो युद्ध या संकट के दौरान रणनीति और कमान को लागू करती है।

इन कमानों के लिए चुने गए थियेटर कमांडर सामान्य रूप से थलसेना से लेफ्टिनेंट जनरल, नौसेना से वाइस एडमिरल या वायुसेना से एयर मार्शल स्तर का अधिकारी हो सकता है, जिसे कमांड की जिम्मेदारी दी जाएगी। यह एक एग्जीक्यूटिव पद है, जो विशिष्ट थियेटर के लिए ही गठित होगी, स्थायी नहीं। पहले के सशस्त्र बलों के कानूनी ढांचे में त्रि-सेवा मामलों में निश्चित विधिक सीमाएं निर्धारित थीं, क्योंकि एक सेवा के अधिकारी को दूसरी सेवा के कर्मियों पर अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार नहीं था। उदाहरण के लिए, एक संयुक्त कमांड का नेतृत्व करने वाला तीन-सितारा जनरल अपने अधीन सेवा करने वाले वायुसेना या नौसेना कर्मियों न कोई निर्देश दे सकता था न ही उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकता था। ऐसी शक्तियों की कमी का कमांड, नियंत्रण और अनुशासन पर सीधा प्रभाव पड़ता था। थियेटर कमानों की स्थापना से अब स्थिति बदल जाएगी। थियेटराइजेशन अभियान का नेतृत्व रक्षा स्टाफ के प्रमुख (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान कर रहे हैं।

दुनिया के कई देशों की रक्षा सेवाओं में थियेटर कमांडर का पद या इसके समकक्ष संरचना मौजूद है, खासकर उन देशों में जिनके पास बड़े और संगठित सैन्य बल हैं, वे एकीकृत सैन्य अभियानों के लिए थियेटर कमांड सिस्टम का उपयोग करते हैं। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी में 2016 से पांच थियेटर कमांड हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में थियेटर कमांडर की भूमिका को ‘जियोग्राफिक कम्बैटेंट कमांडर’ कहा जाता है। रूस में थियेटर कमांडर की अवधारणा सैन्य जिलों (मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट) के रूप में है। जापान की सेल्फ-डिफेंस फोर्सेस में क्षेत्रीय कमांड हैं, लेकिन ये थियेटर कमांडर की तुलना में कम एकीकृत हैं।

ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बलों में ऑपरेशनल कमांड होते हैं, लेकिन थियेटर कमांडर का पद नहीं है। पाकिस्तान की सेना में क्षेत्रीय कोर कमांडर होते हैं, जो कुछ हद तक थियेटर कमांडर की भूमिका निभाते हैं।उत्तर कोरिया, वियतनाम, और अन्य कुछ देशों में क्षेत्रीय सैन्य कमांड हैं, लेकिन इन्हें स्पष्ट रूप से थियेटर कमांडर नहीं मान सकते। वैसे विश्व के सामरिक जगत में क्षेत्रीय थियेटर कमांड की अवधारणा को पहली बार प्रथम विश्व युद्ध के अंतिम दिनों में एमिएन्स की लड़ाई में लागू किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लगभग सभी भाग लेने वाले देशों ने एकीकृत कमांड के सिद्धांतों को अपनाया। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि संयुक्त सेवाओं की एकीकृत संरचनाएं (थियेटर कमान) नई युद्ध क्षमताओं को बनाने और समन्वय करने में मदद करेंगी। साथ ही भविष्य की प्रौद्योगिकी और रणनीति को तेजी से आत्मसात करने में सहायता करेंगी क्योकि थियेटराइजेशन की अवधारणा एकल सेवा संचालन की कमियों को कम करने और आधुनिक युद्ध का समर्थन करने का प्रयास करती है।

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