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महाकुम्भ से पूर्व बदल गई कोटेश्वर महादेव मंदिर की सूरत

महाकुम्भनगर,07 जनवरी (हि.स.)। महाकुम्भ 2025 प्रयागराज में स्थित अति प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार एवं सौन्दर्यीकरण कार्य का अपना एक इतिहास दर्ज हो जाएगा। तीर्थों के राजा प्रयागराज के प्राचीन मंदिरों में है । त्रेता युग में स्थापित एक करोड़ शिवलिंग वाले मंदिर शिव कचहरी की भी सूरत बदल गई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री याेगी आदित्यनाथ एवं उनकी सरकार की दृष्टि जिस मंदिर पर नजर गई उसकी सूरत विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुम्भ के शुभारंभ से पूर्व बदल रही है।

सनातन धर्म का पूरे विश्व में सम्मान बढ़ाने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रयागराज में सनातन धर्म से जुड़े सभी धार्मिक मंदिरों के संरक्षण का कार्य कर रहें है। इसी कड़ी में प्रयागराज के गोविंदपुर शिवकुटी में स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है। यह जानकारी मंदिर के पास में संस्कृत विद्यालय के प्रबंधक विष्णु गुरु ने बताया कि इस अति प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार विधायक निधि से किया जा रहा है।

प्रयागराज में पतित पावनी मां गंगा के पावन तट पर स्थित इस प्राचीन मंदिर को शिव कचहरी भी कहा जाता है। अर्थात भगवान भोलेनाथ के दरबार में न्यायालय चल रहा है। ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में इस शिवलिंग की स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने की थी । लंका विजय के बाद जब श्रीराम ऋषि भरद्वाज मुनि से मिलने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि आप हमसे ऐसे नहीं मिल पाएंगे। आप ने परम ज्ञानी पंडित रावण का वध किया है, जिसकी वजह से आप पर ब्राह्मण हत्या का दोष लगा है। पहले आप ब्राह्मण हत्या का दोष निवारण करें, उसके बाद आप आइए, इसके बाद भगवान राम ने इसी स्थान पर अपने आराध्य शिवलिंग की स्थापना के लिए दोनों हाथों से पतित पावनी मां गंगा के रेत उठाया और उसे शिवलिंग के रूप में स्थापित कर दिया। शिव आराधना के बाद वह उन्होंने ऋषि भारद्वाज का आर्शिवाद लेकर अयोध्या चले गए।इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा अर्चना करने पर एक करोड़ शिवलिंग की स्तुति का फल प्राप्त होगा।

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