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28 जून को याद रखें: जब प्रेस की आवाज़ को चुप करा दिया गया था

28 जून: प्रेस सेंसरशिप का काला दिन

1975 में भारत के इतिहास का सबसे डरावना दौर आया – आपातकाल।
25 जून की रात को इंदिरा गांधी ने आपातकाल का ऐलान किया।

📢 प्रेस की आवाज़ कैसे दबाई गई?

  • अखबारों की बिजली काट दी गई
  • बिना मंजूरी के खबरें नहीं छप सकती थीं
  • ‘ब्लैंक एडिटोरियल’ पर भी रोक लगा दी गई
  • सरकारी विज्ञापन बंद कर दिए गए

⚠️ ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं

  • 3801 अखबारों के लाइसेंस रद्द
  • 327 पत्रकार जेल में
  • विदेशी रिपोर्टर देश से बाहर निकाले गए

📰 कैसे हुआ विरोध?

‘इंडियन एक्सप्रेस’ और ‘नई दुनिया’ ने संपादकीय की जगह खाली पेज छापा।
हिम्मत जैसी पत्रिकाओं ने सांकेतिक विरोध दर्ज कराया।

🚨 जानिए और भी सख़्ती

  • प्रेस काउंसिल भंग कर दी गई
  • मीडिया एजेंसियों को मिला सरकारी नियंत्रण
  • न्यायालय की कार्यवाही तक छापने की इजाजत नहीं थी

🔍 क्या सीखा भारत ने?

इमरजेंसी के बाद जब 1977 में चुनाव हुए, तो जनता ने तानाशाही को हरा दिया।
इंदिरा गांधी को सत्ता गंवानी पड़ी।

📣 नतीजा

प्रेस की आज़ादी सिर्फ एक अधिकार नहीं, लोकतंत्र की जान है।
28 जून हमें याद दिलाता है कि प्रेस पर हमला, देश की आत्मा पर हमला है।

What do you mean by press media?
→ पत्रकारिता के माध्यम जो समाचार जनता तक पहुंचाते हैं, जैसे अखबार, टीवी, रेडियो, डिजिटल मीडिया।

What is the role of press media?
→ सूचना देना, जनमत बनाना, सत्ता की निगरानी करना।

Types of Press Media:
→ प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया

Difference between print and press media:
→ प्रिंट मीडिया सिर्फ छपे हुए माध्यम (अखबार/मैगज़ीन), जबकि प्रेस मीडिया में सभी समाचार माध्यम शामिल हैं।

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