🔍 क्या है नेपाल का अब तक का सबसे बड़ा टेलीकॉम घोटाला?
नेपाल में 321 अरब रुपये का टेलीकॉम घोटाला सामने आया है, जिसमें पूर्व सूचना एवं संचार मंत्री मोहन बस्नेत प्रमुख आरोपी हैं।
यह घोटाला नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण (NTA) की टेरामॉक्स प्रणाली की खरीद के दौरान हुआ।
⚖️ कोर्ट का फैसला: जमानत पर रिहाई
नेपाल की विशेष अदालत ने मोहन बस्नेत को 25 लाख रुपये की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
यह आदेश तीन न्यायाधीशों – तेज नारायण सिंह राई, राम बहादुर थापा और बिदुर कोइराला – की पीठ ने दिया।
उनका बयान दर्ज करने के बाद यह फैसला सुनाया गया।
🕵️♂️ कौन-कौन है घोटाले में आरोपी?
एंटी करप्शन ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, घोटाले में बस्नेत समेत 15 और लोग आरोपी हैं:
- दिगंबर झा – एनटीए के पूर्व अध्यक्ष
- धनराज ज्ञवाली, टिका प्रसाद उप्रेती
- सुरेंद्र लाल हाडा, दीपेश आचार्य
- संदीप अधिकारी, अच्युतानंद मिश्रा
- पुरुषोत्तम खनाल, विजय राया, सुरेश बस्नेत
- दो निजी कंपनियां भी आरोपी
📦 घोटाले में कैसे हुआ धन का गबन?
रिपोर्ट के अनुसार, टेरामॉक्स प्रणाली की खरीद में:
- नियमों का उल्लंघन
- गलत बिलिंग
- कंपनियों को अनुचित लाभ
- तकनीकी मूल्यांकन में धांधली
ये सभी आरोप नेपाल के इतिहास के सबसे महंगे घोटाले की तरफ इशारा करते हैं।
🔍 क्या आगे होगी जांच तेज?
हालांकि मोहन बस्नेत को जमानत मिल गई है, लेकिन केस अभी बंद नहीं हुआ है।
ब्यूरो की अगली रिपोर्ट में वित्तीय लेन-देन के ठोस सबूत पेश किए जा सकते हैं।
जनता और मीडिया की नजर अब अगली सुनवाई और NTA की आंतरिक जांच पर टिकी है।
📚 Extra Facts for Readers
❓ नेपाल में भ्रष्टाचार कितना गंभीर मुद्दा है?
नेपाल में बीते दशक में कई हाई-प्रोफाइल घोटाले सामने आए हैं। टेलीकॉम घोटाला उनमें से सबसे बड़ा माना जा रहा है।
❓ क्या मोहन बस्नेत पहले भी किसी विवाद में रहे हैं?
हां, मोहन बस्नेत पर पहले भी सत्ता में रहते हुए राजनीतिक हस्तक्षेप और फेवरिज्म के आरोप लगे हैं।
🤔 क्या जनता को मिलेगा न्याय?
यह मामला दिखाता है कि भ्रष्टाचार केवल अफसरों तक सीमित नहीं, बल्कि सत्ता के शीर्ष तक फैला हुआ है।
अब सवाल है:
👉 क्या नेपाल की न्याय व्यवस्था दोषियों को सजा दे पाएगी?
👉 या फिर ये मामला भी राजनीतिक दबाव में ठंडे बस्ते में चला जाएगा?