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उत्तराखंड में आज फिर भारी बारिश का अलर्ट! चारधाम यात्रा प्रभावित, भूस्खलन और सड़कें बंद

देहरादून, 30 जून (हि.स.) – उत्तराखंड में सोमवार को भी भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया गया है। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है। राज्य के कई जिलों में भूस्खलन, जलभराव और सड़कों के अवरोध जैसी समस्याएं पैदा हो गई हैं।

🛑 चारधाम यात्रा पर बड़ा असर

बारिश और भूस्खलन की वजह से यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जाने वाले मार्गों पर मलबा आने से रास्ते पूरी तरह बंद हो चुके हैं।

  • गंगोत्री हाईवे पर नलूणा, नेताला, रतूड़ी सेरा जैसे स्थानों पर मलबा
  • यमुनोत्री हाईवे पर सिलाई बैंड और ओजरी के बीच सड़क वॉश आउट
  • ब्रहमखाल और महरगांव के पास रास्ता अवरुद्ध

पुलिस प्रशासन द्वारा यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा रहा है और रास्तों को सुचारु करने का कार्य जारी है।

🌩️ किन जिलों में भारी बारिश की चेतावनी?

मौसम विभाग ने देहरादून, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, नैनीताल, चम्पावत, उधम सिंह नगर समेत कई जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना जताई है।

राज्य के अन्य हिस्सों में भी आकाशीय बिजली और तेज गर्जन की चेतावनी दी गई है।

🆘 आपदा प्रबंधन की तैयारियां

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया:
“सभी ज़रूरी इंतज़ाम किए गए हैं। चारधाम यात्रा मार्गों पर विशेष निगरानी और राहत कार्य जारी हैं।”

🧭 प्रशासन की अपील

उत्तरकाशी पुलिस ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है:

  • संयम और धैर्य बनाए रखें
  • सोशल मीडिया और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें
  • जोखिम भरे क्षेत्रों में जाने से बचें

🕵️‍♂️ 7 लापता यात्रियों की तलाश जारी

रुद्रप्रयाग में कुछ दिन पहले हुए हादसे में लापता 7 यात्रियों की खोज अभियान अभी भी चल रहा है।

Q. क्या उत्तराखंड में मानसून पूरी तरह सक्रिय हो गया है?

✔️ हां, सभी प्रमुख जिलों में लगातार बारिश हो रही है।

Q. चारधाम यात्रा कब तक बाधित रहेगी?

⚠️ फिलहाल अनिश्चित, रास्ते खोलने का कार्य जारी है।

Q. किन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा है?

गंगोत्री, यमुनोत्री, उत्तरकाशी और टिहरी सबसे अधिक प्रभावित हैं।

🔚 निष्कर्ष

उत्तराखंड में मौजूदा हालात चिंताजनक हैं। यात्रियों और स्थानीय लोगों से प्रशासन की अपील है कि अनावश्यक यात्रा से बचें और केवल अधिकारिक जानकारी के आधार पर ही आगे बढ़ें

प्रकृति से सतर्क रहना ही सुरक्षा की पहली शर्त है।

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