कोलकाता, 30 जून (हि.स.) — पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बार फिर विवाद तब गहराया जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने अपने ही विधायक हुमायूं कबीर को कारण बताओ नोटिस जारी किया। मामला जुड़ा है कालीगंज ब्लास्ट में मारी गई 13 वर्षीय बच्ची के परिवार से उनकी बिना अनुमति के मुलाकात को लेकर।
📋 क्या कहा विधायक हुमायूं कबीर ने?
- अपने जवाब में हुमायूं कबीर ने बताया कि:
- वे न तो टीएमसी नेता के तौर पर वहां गए थे
- और न ही पार्टी से निर्देश लेकर
- बल्कि वे एक स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि के तौर पर मदद की पेशकश करने गए
- लेकिन तमन्ना की मां ने यह मदद ठुकरा दी
⚠️ पार्टी को क्यों हुई आपत्ति?
- पार्टी को इस मुलाक़ात की कोई पूर्व जानकारी नहीं थी
- इससे संदेश गया कि शायद पार्टी इस घटना को पैसे देकर दबाना चाहती है
- ऐसे क़दम से पार्टी को राजनीतिक नुकसान हो सकता था, खासकर जब मामला विपक्ष (CPI-M) से जुड़ा हो
💣 कालीगंज ब्लास्ट: अब तक क्या हुआ?
- 23 जून को हुए उपचुनाव परिणामों के बाद जुलूस निकाला गया
- उसी दौरान विस्फोट हुआ, जिसमें 13 वर्षीय तमन्ना खातून की मौत हो गई
- 9 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं
- परिवार का आरोप: राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके घर पर बम फेंका गया
- तमन्ना का परिवार माकपा समर्थक रहा है
🕵️♂️ आगे क्या हो सकता है?
- टीएमसी नेतृत्व हुमायूं कबीर के जवाब की समीक्षा कर रहा है
- यदि जवाब अस्वीकार्य पाया गया, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है
- पार्टी चाहती है कि इस संवेदनशील मुद्दे पर स्पष्ट संदेश जाए कि ऐसी व्यक्तिगत पहलें अनुमति के बिना स्वीकार्य नहीं हैं
✅ Conclusion (निष्कर्ष)
कालीगंज ब्लास्ट एक गंभीर और भावनात्मक मामला बन चुका है। इस मामले में विधायक की पहल पार्टी के लिए दोहरे दबाव का कारण बन गई — एक तरफ राजनीतिक विपक्ष का हमला और दूसरी तरफ आंतरिक अनुशासन की चुनौती। अब देखना होगा कि तृणमूल कांग्रेस इस मामले में क्या फैसला लेती है।