Shraddh mahatva क्या है?
- Shraddh mahatva : श्राद्ध केवल कर्मकांड नहीं, बल्कि पूर्वजों को तृप्त करने का मार्ग है।
- इससे वंश रक्षा होती है और जीवन सफल बनता है।
- हरिवंश पुराण में इसका विशेष महत्व बताया गया है।
हरिवंश पुराण और Shraddh कल्प mahatva
- महाभारत का परिशिष्ट भाग है हरिवंश पुराण।
- इसमें अध्याय 16 से 24 तक श्राद्ध कल्प वर्णित है।
- कथा में मार्कंडेय ऋषि → भीष्म → युधिष्ठिर → वैशंपायन → जनमेजय को इसका महत्व बताया।
सात ब्राह्मणों की कथा
- सात ब्राह्मणों के नाम थे: वागदुष्ट, क्रोधन, हिंसन, पिशुन, कवि, खसृम और पितृवर्ती।
- भूख से पीड़ित होकर उन्होंने गुरु की गाय को मारने का विचार किया।
- पितृवर्ती ने सुझाव दिया कि गाय को पितरों के लिए अर्पित करें।
- इस निर्णय से अधर्म का दोष कम हुआ।
जन्म-जन्मांतर और श्राद्ध का प्रभाव
- पहले जन्म में वे व्याध (शिकारी) बने।
- अगले जन्म में मृग (हिरण) बने और तप किया।
- तीसरे जन्म में चक्रवाक पक्षी बने।
- फिर मानसरोवर में हंस योनि में उत्पन्न हुए।
- हर जन्म में उन्हें श्राद्ध के पुण्य का स्मरण रहा।

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ब्रह्मदत्त और सन्नति की कथा
- हंस योनि से स्वतंत्र नामक आत्मा राजा ब्रह्मदत्त बना।
- उसकी पत्नी सन्नति ने योग की ओर प्रेरित किया।
- दोनों ने वन में तपस्या की और परम गति प्राप्त की।
शिक्षा और संदेश
- श्राद्ध पितरों को तृप्त करता है।
- आशीर्वाद से वंश रक्षा और समृद्धि मिलती है।
- पापों का दोष कम होता है।
- जीवन में सुख और शांति आती है।
आज के समय में श्राद्ध का महत्व
- पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक है।
- इससे पूर्वज प्रसन्न होते हैं।
- परिवार में शांति, उन्नति और सफलता आती है।