वाराणसी, 22 सितंबर (हि.स.) – उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी काशी शारदीय नवरात्र के पहले दिन से ही आदिशक्ति की भक्ति में लीन है। अलईपुर स्थित आदिशक्ति मां शैलपुत्री के दरबार में श्रद्धालु आधीरात के बाद से ही दर्शन पूजन के लिए जुटने लगे। श्रद्धालुओं ने कतारबद्ध होकर माता रानी का गगनभेदी जयकारा लगाते हुए अपनी बारी का इंतजार किया।
मंदिरों और घरों में आराधना का माहौल
- घरों और मंदिरों में कलश स्थापना और अभिजीत मुहूर्त में पूजा का आयोजन किया गया।
- दुर्गा चालीसा, सप्तशती, चण्डी पाठ और आरती के मंत्रों की गूंज से पूरा वातावरण देवीमय रहा।
- श्रद्धालु नारियल, चुनरी और अड़हुल अर्पित कर सुख-समृद्धि, संतति वृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना कर रहे थे।
मां शैलपुत्री का महत्व
- नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के दर्शन की मान्यता है।
- पर्वतराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी मां शैलपुत्री शक्ति, स्थिरता और अखंड सौभाग्य का प्रतीक हैं।
- देवी के वाहन वृषभ हैं, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है।
इस बार नवरात्र 10 दिन का
- वर्ष 1998 के बाद इस बार शारदीय नवरात्र 27 साल बाद दस दिन का है।
- चतुर्थी तिथि दो दिन मानेगी, दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा के दर्शन होंगे।
- 30 सितंबर को अष्टमी, 1 अक्टूबर को नवमी और 2 अक्टूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी।
वाराणसी में नवरात्र के पहले दिन से ही भक्तजन मां के भक्ति और आराधना में लीन हैं, जिससे पूरा शहर देवीमय वातावरण में सराबोर है।