मोरिंगा बना कुपोषित बच्चों के लिए वरदान
मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में कुपोषण के विरुद्ध चल रही जंग को अब नई दिशा मिल गई है। कलेक्टर आदित्य सिंह द्वारा लागू किए गए मोरिंगा आधारित पोषण मॉडल ने हजारों कुपोषित बच्चों के जीवन में चमत्कारिक बदलाव किया है। यह मॉडल अब पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श उदाहरण बनकर उभर रहा है।
सर्वे में सामने आई भयावह तस्वीर
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 1 जून से 15 जुलाई 2025 के बीच किए गए सर्वे में 1122 आंगनबाड़ी केंद्रों पर 1584 बच्चे अति कुपोषित और 6885 बच्चे मध्यम कुपोषित पाए गए। कुल 8469 बच्चों का कुपोषित होना जिले के लिए गंभीर चिंता का कारण था।
मोरिंगा मॉडल ने बदली तस्वीर
कलेक्टर आदित्य सिंह ने समाधान के रूप में स्थानीय संसाधन मोरिंगा (सेहजन) को चुना, जिसे दुनिया भर में ‘सुपर फूड’ माना जाता है। लेकिन बच्चों के स्वाद को ध्यान में रखते हुए पेटेंटेड मोरिंगा पाउडर तैयार किया गया, जिसे जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में वितरित किया गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग की अधिकारी चन्द्रसेना भिड़े के अनुसार,
- 18–25 सितंबर 2025 के बीच 8469 कुपोषित बच्चों और 1500 संभावित कुपोषित बच्चों को मोरिंगा पाउडर दिया गया।
- शुरुआत आधा चम्मच से हुई, बाद में मात्रा बढ़ाकर 1 चम्मच प्रतिदिन की गई।
एक माह में दिखा चमत्कार
केवल 30 दिनों में आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए—
- 95% बच्चों का वजन बढ़ा
- 50% बच्चे कुपोषण से बाहर
- अति कुपोषित 1584 में से 316 बच्चे सामान्य
- मध्यम कुपोषित 6885 में से 922 बच्चे सामान्य
- 7.3% बच्चों का वजन 500–800 ग्राम बढ़ा
24 अक्टूबर 2025 की पुनः जांच में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता, ऊर्जा और भूख में उल्लेखनीय सुधार देखा गया।
हृदय अभियान की मानवीय सफलता
यह पूरा मॉडल जिले की हृदय परियोजना के तहत संचालित किया गया, जिसका उद्देश्य बच्चों को स्वस्थ भविष्य देना है। आज अशोकनगर के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चे पहले से अधिक ऊर्जावान दिख रहे हैं और अभिभावक भी इस बदलाव से उत्साहित हैं।




