द्वारका की खोज दोबारा शुरू, एएसआई फिर समुद्र में उतरा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने समुद्र में डूबी भगवान श्रीकृष्ण की प्रसिद्ध नगरी द्वारका की खोज का काम एक बार फिर शुरू कर दिया है। इस बार खोज जमीन और समुद्र दोनों जगहों पर की जा रही है।
एएसआई के अंडरवॉटर आर्कियोलॉजी विंग (यूएडब्ल्यू) ने गुजरात के द्वारका और बेट द्वारका में खुदाई की शुरुआत की है। इस अभियान का नेतृत्व एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक (पुरातत्व) प्रो. आलोक त्रिपाठी कर रहे हैं।
गोमती घाट के पास खुदाई शुरू
टीम फिलहाल द्वारका तट के 56 सीढ़ी क्षेत्र और गोमती घाट के पास खुदाई कर रही है। चूंकि द्वारकाधीश मंदिर के आसपास जगह कम है, इसलिए इस समय खुदाई छोटा लेकिन महत्वपूर्ण दायरा लेकर की जा रही है।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य—
- द्वारका के प्राचीन अवशेषों का वैज्ञानिक अध्ययन
- शहर के डूबने और समयकाल से जुड़े तथ्यों की पुष्टि
- समुद्री पुरातत्व के जरिए ऐतिहासिक संरचनाओं की पहचान
समुद्र में भी होगी विस्तृत जांच
एएसआई के अनुसार फरवरी–मार्च 2025 में अंडरवॉटर टीम ने द्वारका और बेट द्वारका का प्राथमिक सर्वे किया था। गोमती क्रीक के दक्षिण हिस्से में कई संभावित स्थानों की पहचान भी की गई थी, जहां अब विस्तृत खोज होगी।
2007 की खुदाई में भी मिले थे महत्वपूर्ण अवशेष
इससे पहले वर्ष 2007 में द्वारकाधीश मंदिर के उत्तरी द्वार के पास 10 मीटर गहरा क्षेत्र खोदा गया था। वहां से—
- लोहे के औज़ार
- तांबे की वस्तुएं
- मनके
- अंगूठियाँ
- प्राचीन मिट्टी के बर्तन
जैसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक अवशेष मिले थे।
क्या इस बार खुलेंगे नए रहस्य?
द्वारका को लेकर हजारों वर्षों से पुराणों, इतिहास और समुद्री भूगोल में उल्लेख मिलते रहे हैं। माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की नगरी समुद्र में समा गई थी।
अब एएसआई की नई खुदाई से यह उम्मीद जग गई है कि द्वारका के इतिहास से जुड़ी कई नई बातें सामने आ सकती हैं।




