तिब्बती समाज में उत्सव का माहौल
जयपुर में रह रहे तिब्बती शरणार्थियों ने बुधवार को दलाई लामा को मिले नोबेल शांति पुरस्कार दिवस की वर्षगांठ पर भव्य उत्सव आयोजित किया। वर्ष 1989 में तेनजिन ग्यात्सो को मिला यह सम्मान तिब्बती समुदाय के लिए आज भी गौरव, कृतज्ञता और प्रेरणा का प्रतीक है।
गोकुलपुरा, यूएस पैराडाइज और आसपास की गलियों को फूलों, रंगीन गुब्बारों और तिब्बती झंडों से सजाया गया। सुबह से ही समुदाय के बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग पारंपरिक पोशाकों में एकत्र होते रहे। ढोल-नगाड़ों की धुन के साथ तिब्बती लोक गीतों की गूंज ने पूरे क्षेत्र को उत्सवी रंग में रंग दिया।
पोस्टर और नारों के साथ निकाला जुलूस
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बच्चों का जुलूस रहा, जिसमें वे दलाई लामा के चित्र वाले पोस्टर लिए “लॉन्ग लिव हिज़ होलिनेस” के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे। उत्साह और उमंग से भरे इस जुलूस ने पूरे समुदाय में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया।
तिब्बती समुदाय के प्रमुख थुंडुब, छुगंडक और कुंचूक ने कहा,
“देने वाला बड़ा नहीं होता, मुस्कान देने वाला बड़ा होता है — यही दलाई लामा की शिक्षा है। हमें भी दुनिया में खुशियां और शांति फैलाने की कोशिश करनी चाहिए।”
शांति, सद्भाव और मानवता का संदेश
कार्यक्रम में वरिष्ठ पदाधिकारियों ने समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि दलाई लामा की शिक्षाएं विश्व में आज भी अहिंसा, करुणा और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त करती हैं। बदलते समय में उनका संदेश और भी प्रासंगिक हो गया है।




