गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण में कितने पेड़ काटे जाएंगे, डीएम से मांगी जानकारी
उत्तरकाशी। गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग (ऑल वेदर रोड परियोजना) के तहत प्रस्तावित चौड़ीकरण को लेकर पर्यावरणीय चिंताएं एक बार फिर सामने आई हैं। देवदार के वृक्षों पर रक्षासूत्र बांधने वाले पर्यावरण चिंतकों ने सोमवार को जिलाधिकारी उत्तरकाशी प्रशांत आर्य से मुलाकात कर इस परियोजना में काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या को लेकर आधिकारिक जानकारी मांगी है।
रक्षासूत्र आंदोलन की प्रेरक सुरेश भाई और प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता ‘ग्लेशियर लेडी’ शांति ठाकुर ने डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि बड़ेथी (उत्तरकाशी) से भैरोंघाटी तक गंगोत्री हाईवे चौड़ीकरण के कारण देवदार के जिन वृक्षों पर छपान (मार्किंग) किया जाना है, उसकी पूरी और अद्यतन जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए।
सड़क की चौड़ाई बदली, तो पेड़ों का आकलन क्यों नहीं?
पर्यावरण चिंतकों ने बताया कि वर्ष 2016 के बाद छपान किया गया था, उस समय सड़क की चौड़ाई 18 से 24 मीटर निर्धारित थी। अब जब परियोजना के अंतर्गत सड़क की चौड़ाई 11 मीटर कर दी गई है, तो इसके बाद कितने पेड़ वास्तव में कटेंगे और कितने बचाए जाएंगे, इसकी स्पष्ट सूचना अब तक सामने नहीं आई है।
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के माध्यम से जानकारी मिली है कि
- लगभग 5400 देवदार के पेड़ बचाए जा रहे हैं,
- जबकि करीब 1413 पेड़ सड़क चौड़ीकरण में काटे जा सकते हैं।
हालांकि, उन्होंने इन आंकड़ों की आधिकारिक पुष्टि की मांग करते हुए कहा कि जब तक सरकारी स्तर पर जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती, तब तक भ्रम की स्थिति बनी रहेगी।
संयुक्त बैठक बुलाने की भी मांग
ज्ञापन में यह भी अनुरोध किया गया है कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और वन विभाग के साथ एक संयुक्त बैठक आयोजित की जाए। इस बैठक में पिछले दो वर्षों के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय तथा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इस परियोजना को लेकर की गई कार्रवाइयों की विस्तृत जानकारी साझा की जाए।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस संबंध में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को कई पत्र भेजे गए थे, जिनमें से तीन पत्रों का उत्तर सुरेश भाई को प्राप्त हुआ है। इन पत्रों की प्रतिलिपि सीमा सड़क संगठन को भी भेजी गई थी।
पर्यावरण चिंतकों का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में सड़क विकास के साथ पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है, और इसके लिए पारदर्शिता एवं जनसंवाद अनिवार्य है।




