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पानी है तो कुम्भ है—स्वामी चिदानन्द सरस्वती

महाकुम्भ नगर, 13 जनवरी(हि.स.)। परमार्थ निकेतन शिविर प्रयागराज महाकुम्भ में आज विश्व विख्यात कथाकार जयाकिशोरी आयीं। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में अरैल घाट संगमतट में आयोजित गंगा जी की आरती में सहभाग किया।पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन शिविर से स्वच्छता रैली निकाली गयी। परमार्थ निकेतन परिवार, ऋषिकुमारों और विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने स्वच्छता अभियान चलाया फिर संगम में स्नान किया।उन्होंने कहा कि पानी है तो प्रयाग है; पानी है तो कुम्भ है; पानी है पर्व है; जल है तो जीवन है; जल नहीं तो कल नहीं इसलिये स्वयं के स्नान से पहले नदियों का स्नान अर्थात उन्हें प्रदूषण मुक्त व प्लास्टिक मुक्त करना जरूरी है।जल हमारे अस्तित्व के लिये अत्यंत आवश्यक है, जल एक ऐसी जीवन रेखा है जो हमें सभी रूपों में जीवन देती है। बिना जल के न तो जीवन संभव है, न ही मानवता का कोई अस्तित्व है। जल का महत्व केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज, सभ्यता, संस्कृति और हमारे पर्यावरण के अस्तित्व के लिए भी अनिवार्य है।स्वामी जी ने कहा कि भारत में जल का महत्व प्राचीन काल से ही है। हमारे धर्म और संस्कृति में जल को विशेष सम्मान और स्थान प्राप्त है और नदियाँ तो हमारे जीवन का आधार हैं। नदियों के बिना भारतीय सभ्यता और संस्कृति की कल्पना भी नहीं की जा सकती। आज पौष पूर्णिमा का महत्व बताते हुये कहा कि जल में पुण्य है, जल में शुद्धता है, जल में जीवन है। संगम के जल में स्नान से शरीर और आत्मा दोनों की शुद्धि होती है इसलिये हमें जल क्रांति, जन क्रांति बनाना होगा, जल आन्दोलन जन आन्दोलन बनाना होगा ताकि हम आने वाली पीढ़ियों को एक जल-समृद्ध पृथ्वी सौंप सकें। इस गंगा आरती में जस्टिस सतीश चन्द्र शर्मा, सुप्र्रीम कोर्ट आफॅ इंडिया ने सपरिवार सहभाग किया।

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